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हिमाचल प्रदेश : विशेषज्ञ डॉक्टरों की कमी से जूझ रहा टांडा मेडिकल कॉलेज

हिमाचल प्रदेश : प्रदेश में स्पेशलिस्ट और सुपर स्पेशलिस्ट डॉक्टरों की कमी को पूरा करना सरकार के लिए बड़ी चुनौती बन गया है। पिछले एक साल में, 50 से अधिक सुपर-स्पेशलिस्ट और विशेषज्ञ डॉक्टर नौकरी छोड़ चुके हैं या उच्च अध्ययन पर चले गए हैं।

वर्तमान में अस्पतालों और मेडिकल कॉलेजों में स्पेशलिस्ट और सुपर स्पेशलिस्ट के 100 से ज्यादा पद खाली हैं। राज्य की चिकित्सा आवश्यकताओं को पूरा करने वाला टांडा कॉलेज सबसे अधिक प्रभावित है।

पिछले छह महीनों में, छह डॉक्टर, जिनमें से अधिकांश सुपर-स्पेशलिस्ट हैं, चले गए हैं।  जिसके परिणामस्वरूप कोविड संकट के बीच विभाग अधूरा सा हो गया हैं। अधिकांश डॉक्टर एम्स बिलासपुर चले गए हैं ।

नौकरी छोड़ने वालों में रेडियोलॉजी विभाग के डॉ लोकेश राणा शामिल हैं। ये एमआरआई, ट्रस बायोप्सी, एमआर आर्थ्रोग्राम और अल्कोहल एब्लेशन के विशेषज्ञ हैं। ये प्रौद्योगिकियां प्रोस्टेट और हड्डी के कैंसर का पता लगाने में सहायक हैं।

पहले ऐसे मरीजों को इलाज के लिए पीजीआई चंडीगढ़ और एम्स नई दिल्ली जाना पड़ता था। हालांकि, डॉ राणा ने टीएमसी में इन सुविधाओं का निर्माण किया था। अब वह एम्स , बिलासपुर से जुड़ गए है।

अन्य डॉक्टर भी टीएमसी छोड़कर एम्स, बिलासपुर में स्थानांतरित हो गए हैं। उनके नाम है – डॉ रूपाली – फिजियोलॉजिस्ट, डॉ प्रियंदर सिंह ठाकुर – एंडोक्रिनोलॉजी में  सुपर-स्पेशलिस्ट, डॉ आशीष शर्मा – न्यूरो-फिजिशियन और डॉ नवनीत – प्लास्टिक सर्जन।  प्रशासनिक अधिकारी डॉ विक्रांत कंवर भी एम्स चले गए हैं। बाल रोग विशेषज्ञ और सुपर स्पेशलिस्ट डॉ स्मृति गुप्ता ने भी टीएमसी छोड़ दिया है ।

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