घाट बनारसी : एक बार बनारस के इन घाटों पर जरूर जाएं, मिलेगा ऐसा अनुभव चाह कर भी नहीं भूल पाएंगे !
भगवान शिव की नगरी काशी जहां हर गली मोहल्ले में हर हर महादेव और ॐ नमः शिवाय के उद्घोष सुनाई देते हैं। काशी हिंदुओं की पवित्र नगरी कही जाती है इसे पंचकोशी के नाम से भी जाना जाता है क्योंकि इसे स्वयं शिवजी ने बसाया था। यह नगर सैकड़ों साल से अपने अंदर कई संस्कृतियों और कलाओं को समेटे हुए हैं। वाराणसी पूरे विश्व में अपने आप में एक अलग पहचान रखती है।
यहां आते ही लोगों की आत्मा शिव रंग में रंग जाती है। कहते हैं यहां की संस्कृति गंगा स्नान के बिना अधूरी है यहां जो भी आता है वह शिव का ही होकर रह जाता है। यूं तो दुनिया में कई ऐसी जगह है जहां घूमने से इंसान को सुख मिलता है शांति मिलती है लेकिन अगर बात की जाए वाराणसी की तो यहां जैसे और सुकून, शांति शायद ही दुनिया के किसी कोने में मिले।
बनारस के घाटों की बात ही अलग है। वाराणसी में घूमने के लिए कई मंदिर और घाट हैं यहां की आरती लोगों को अपनी ओर आकर्षित करती है। जो भी भगवान में आस्था नहीं रखता है वह भी यहां आकर शिव में आस्था रखने लगता है। इनमें से कुछ घाटों के बारे में हम आपको बता रहे हैं जिनके बारे में जानकर आपको भी वहां जाने का मन करेगा।
अस्सी घाट
बनारस घूमने आए देश-विदेश के पर्यटकों के लिए अस्सी घाट बनारस के सबसे खूबसूरत घाटों में एक है। यहां पर शाम को होने वाली गंगा आरती पर्यटकों के लिए आकर्षण का केंद्र रहती है। प्राचीन काल की मान्यताओं के अनुसार असी नाम की नदी का संगम गंगा जी से हुआ था जिसके कारण इसे अस्सी घाट के नाम से जाना जाता है।
दशाश्वमेध घाट
पंच तीर्थों के नाम से प्रसिद्ध दशाश्वमेध घाट को देखने पर्यटक जरूर आते हैं अस्सी घाट के बाद लोग इस घाट को देखना नहीं भूलते।
राजा दिवस दास ने यहां पर दस अश्वमेध यज्ञ कराया था जिसके कारण इस घाट का नाम दशाश्वमेध में घाट पड़ा।
मणिकर्णिका घाट
अपनी एक अलग कहानी है कहते हैं कि, एक बार माता पार्वती के कर्णफूल इसी कुंड में गिर गए थे जिस को ढूंढने का काम भगवान शिव ने किया था। जिसके बाद से इस खाट को मणिकर्णिका के नाम से जाना जाने लगा। इसे महा शमशान के नाम से भी जाना जाता है। कहते हैं अंतिम समय में लोग मोक्ष पाने के लिए इसी घाट में आते हैं।
पंचगंगा घाट
काशी के सभी घाटों को घूमने के बाद लोग पंचगंगा घाट घूमने जरूर आते हैं। यह घाट भी काशी के 84 घाटों में से एक है। पौराणिक मान्यताओं के अनुसार यहां पर गंगा, यमुना, सरस्वती, किरण और धूतपापा नदी का मिलन होता है।