उत्तराखंड में बेचे जा रहे हैं नकली हैंड सैनिटाइजर SPECS के अध्ययन में हुआ खुलासा
जान के लिए भी हो सकते है घातक सिद्ध, जल्द मुख्यमंत्री को भेजी जाएगी रिपोर्ट
उत्तराखंड : कोविड के बाद से सैनिटाइजरकी मांग बढ़ गई है। इसकी बढ़ती मांग के कारण, जहरीले रसायनों से भरे कई नकली हैंड सैनिटाइज़र पूरे राज्य में बेचे जा रहे हैं।नकली और जहरीले हैंड सैनिटाइजर कोविड -19 के प्रसार और राज्य भर में इससे होने वाली मौतों का संभावित कारण हो सकते हैं।
इस बात का खुलासा किया सोसाइटी ऑफ पॉल्यूशन एंड एनवायर्नमेंटल कंजर्वेशन साइंटिस्ट्स (SPECS) की टीम ने। इस साल इस टीम ने 3 मई से 5 जुलाई तक के बीच अध्य्यन किया।
अध्ययन में उत्तराखंड के जिलों के बाजारों और घरों से हैंड सांइटिज़ेर एकत्रित किये गए। जमा किए गए हैंड सैनिटाइज़र के 1,050 नमूनों में से 578 नमूनों में अल्कोहल की मात्रा बेहद कम थी जो उन्हें कोविड -19 के खिलाफ अप्रभावी बनाती है।
सैनिटाइज़र के 278 नमूनों में जहरीले रंगों की उपस्थिति पाई गई। जबकि आठ नमूनों में अत्यधिक जहरीला रासायनिक मेथनॉल भी पाया गया – जो मानव शरीर को गंभीर रूप से प्रभावित कर सकता है। सैनिटाइजर के करीब 112 नमूनों में हाइड्रोजन पेरोक्साइड की मात्रा भी अधिक पाई गई।
अल्मोड़ा, चंपावत, हरिद्वार, पौड़ी, टिहरी, रुद्रप्रयाग, उत्तरकाशी, नैनीताल उधम सिंह नगर और चमोली जिलों से एकत्रित किए गए सैनिटाइज़र के 50 प्रतिशत से अधिक नमूनों में मानदंडों के अनुसार अल्कोहल नहीं था।
प्रभावी होने के लिए हैंड सैनिटाइज़र में कम से कम 60 प्रतिशत अल्कोहल होना चाहिए। इसके अलावा, देहरादून, पिथौरागढ़ और बागेश्वर जिलों से एकत्र किए गए सेनेटाइजर के 48 प्रतिशत से अधिक नमूनों में अल्कोहल 60 प्रतिशत से कम था।
SPECS के सचिव, बृज मोहन शर्मा ने कहा कि सरकार कोविड -19 महामारी के दौरान हाथों को साफ रखने के लिए सैनिटाइज़र के लगातार उपयोग को बढ़ावा दे रही है।पर बाजार में उपलब्ध सैनिटाइज़रों की प्रभावशीलता की जांच करने के लिए कुछ भी नहीं किया जा रहा है।
इस बीच, उन्होंने यह भी कहा कि स्पेक्स जल्द ही इस शोध की प्रतियां उत्तराखंड के मुख्यमंत्री और जिलाधिकारियों को भेजेगा।
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