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सार्वजनिक उपक्रमों में मर्ज हुए कर्मियों को मिलेगी पेंशन, शासन ने आदेश किया जारी

4 मार्च, 1971 को जारी शासनादेश के अनुसार सार्वजनिक उपक्रमों में मर्ज हुए कर्मचारियों के संबंध में राज्य सरकार किसी तरह की पेंशन जैसे पारिवारिक पेंशन या फिर असाधारण पेंशन के लिए जिम्मेदार नहीं होगी।

लखनऊ। सार्वजनिक उपक्रमों, कंपनियों और निगमों में नियुक्ति हुए सरकारी कर्मचारियों का इनमें मर्ज होने के बाद अगर उनकी मृत्यु होती है या इन संस्थाओं में पारिवारिक पेंशन सुविधा नहीं है तो राज्य सरकार उनकी पारिवारिक पेंशन का भुगतान करेगी। बुधवार को वित्त विभाग ने इस बारे में शासनादेश जारी किया है। तत्काल प्रभाव के साथ यह शासनादेश लागू होगा।

इसके जारी होने के बाद किसी तरह के एरियर का भुगतान नहीं किया जायेगा। यह आदेश उन मामलों में भी लागू होगा, जिसमे शासनादेश जारी होने की तारीख से पहले सेवानिवृत्त कर्मचारी की मृत्यु हो चुकी हो।

4 मार्च, 1971 को जारी शासनादेश के अनुसार सार्वजनिक उपक्रम में मर्ज हुए कर्मचारियों के संबंध में राज्य सरकार किसी तरह की पेंशन जैसे पारिवारिक पेंशन या फिर असाधारण पेंशन के लिए जिम्मेदार नहीं होगी।

उप्र सार्वजनिक उपक्रमों में सरकारी कर्मचारियों की आमेलन नियमावली, 1984 में यह व्यवस्था है कि पारिवारिक पेंशन का लाभ सिर्फ उन कर्मचारियों को ही मिलेगा जो इस नियमावली के अनुसार सरकारी पेंशन के हकदार थे। आमेलन नियमावली में यह भी प्रावधान है कि सरकार पारिवारिक पेंशन उस शर्त पर देगी, जब उस सेक्टर में इसकी सुविधा न दी गई हो।

नियमावली जारी होने से पहले यह व्यवस्था लागू नहीं होती है। ऐसे मामले भी शासन के सामने आये हैं जिनमें सार्वजनिक क्षेत्र के उपक्रमों, कंपनियों, निगमों में नियुक्त सरकारी कर्मचारियों का मर्ज चार मार्च, 1971 के प्रविधानों के अनुसार हुआ। इस शासनादेश में पारिवारिक पेंशन की व्यवस्था नहीं थी जिसके कारण ऐसे कार्मिकों की मृत्यु के बाद उनके परिवारों को पारिवारिक पेंशन नहीं मिली।

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