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भगवान तुंगनाथ मन्दिर के कपाट शीतकाल के लिए हुए बंद

उत्तराखंड। शनिवार को 12 बजे तृतीय केदारनाथ भगवान तुंगनाथ मन्दिर के कपाट शीतकाल के लिए बंद कर दिए गए है। इस अवसर पर वहाँ तमाम भक्तों ने भगवान शंकर के जयकारे लगाए। यह प्रकिया शनिवार को सुबह 5 बजे से ही शुरू हो गई थी। प्रातः काल भगवान का दूध , जल , दही , शहद से अभिषेक किया गया था।

 

इसके बाद नियमित तौर पर भगवान की पूजा अर्चना की गई । इसके बाद भगवान शिव का श्रंगार किया गया और मन्दिर में भोग भी लगाया गया। स्वयंभू शिवलिंग पर फूल, मेवे, फल, अक्षत और भस्म से समाधि दी गई । इसके बाद तुंगनाथ के कपाट को शीतकाल के लिए विधि विधान से बंद कर दिया गया। कपाट के बंद होने के साथ ही तुंगनाथ की चल विग्रह डोली ने तीन परिक्रमा की ।

 

जिसके बाद यह डोली भूतनाथ मन्दिर से होते हुए चोपता की ओर निकली। ढाई बजे के करीब उत्सव डोली पहले पड़ाव चोपता में रात्रि विश्राम करने के लिए पहुंची। यह डोली 31 तारीख को चोपता से निकल भनकुन के लिए रवाना होगी। 1 नवम्बर को डोली शीतकालीन गद्दीस्थल मक्कूमठ पहुंचेगी। जहां पर छह माह तक शीतकाल में भगवान की पूजा अर्चना होगी।

 

इतना ही नहीं कपाट बंद होने के पर भक्तों ने भगवान शिव के भजनों पर जमकर झूमते नजर आए।  इस मौके पर विशेष कार्याधिकारी राकेश सेमवाल, प्रशासनिक अधिकारी राजकुमार नौटियाल, डोली प्रभारी प्रकाश पुरोहित, प्रबंधक बलबीर नेगी, मठापति रामप्रसाद मैठाणी, मुकेश मैठाणी, अतुल मैठाणी, विनोद मैठाणी, प्रकाश मैठाणी, सतीश भट्ट, देवानन्द गैरोला, संदीप बेंजवाल, पुष्कर रावत, भगवती सेमवाल, अनुराग बिष्ट, विक्रम सिंह आदि मौजूद थे।

 

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