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“एफआईआर दर्ज करने में समय न करें बर्बाद” – सुप्रीम कोर्ट

सुप्रीम कोर्ट ने प्रवर्तन निदेशालय को बड़ी मात्रा में मनी लॉन्ड्रिंग की सूचना मिलने पर तेज गति से जांच करने की हिदायत दी है। सुप्रीम कोर्ट ने कहा कि, नकदी की रफ्तार बिजली से भी तेज होती है। लिहाजा जांच भी तेज होनी चाहिए।

 

 

एफआईआर दर्ज करने में समय न करें बर्बाद

 

 

दरअसल, जस्टिस एएम खानविलकर, जस्टिस दिनेश माहेश्वरी और जस्टिस सीटी रविकुमार की पीठ धनशोधन रोकथाम कानून (पीएमएलए) के कुछ प्रावधानों की व्याख्या की मांग को लेकर दायर याचिकाओं के समूह पर सुनवाई कर रही थी। इस दौरान पीठ ने परिस्थिति का जिक्र करते हुए कहा, जिसमें ईडी के पास अवैध धनशोधन के बारे में कार्रवाई किए जाने लायक सूचना है। पीठ ने कहा कि, नकदी, बिजली से तेज गति से चलती है। और यदि ईडी ने विशेष अपराध में एफआईआर दर्ज होने का इंतजार किया तो सुबूत तेजी से गायब हो सकते हैं।

 

 

छापेमारी में 190 करोड़ रुपये हुए थे बरामद

 

 

बता दें कि, 10 फरवरी को सुप्रीम कोर्ट ने उत्तर प्रदेश में एक छापे में 190 करोड़ रुपये की बरामदगी का जिक्र करते पूछा था कि, ईडी के पास विधेय अपराध की अनुपस्थिति में पीएमएलए के तहत अवैध पैसों की स्वतः जांच का अधिकार है या नहीं। इस पर आज सुनवाई होगी। पीठ ने सवाल उठाया कि क्या ईडी के पास किसी विधेय अपराध के मामले में पहले से एफआईआर दर्ज कोर्ट रूम नहीं होने की स्थिति में जांच करने का न्यायक्षेत्र है? पीएमएलए के तहत ईंडी विधेय अपराध के मामले में पहले से एफआईआई दर्ज होने की स्थिति में ही धन शोधन के आरोपों की जांच के लिए एन्फोर्समेंट केस इन्फॉर्मेशन रिपोर्ट दर्ज कर जांच कर सकती है।

 

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