जब साइकिल बाबा ने देखा सड़क किनारे सोये प्रवासी मज़दूर को :- किस्सा सोशल मिडिया से |
ना होश है ना हवास है
बस घर जाने की आस है
यह स्टोरी टीम इंडिया राइज को फेसबुक पर मिली | श्री संजीव जिंदल जी बरेली के मशहूर उद्यमी है | ये अपनी लम्बी साइकिल यात्राओं के लिए साइकिल बाबा के नाम से भी मशहूर है |
आगे की कहानी उन्ही के शब्दों में :
नेकी करो और सोशल मीडिया पर डालो। ताकि दूसरे लोगों को भी छोटे-छोटे आइडिया मिल सके। अभी सुबह बड़े बाईपास पर साइकिलिंग करते हुए, एक शख्स को गहन निद्रा में सोते हुए देखा। तो जिज्ञासा बस उसके पास रुक गया। पास में ही उसकी साइकिल खड़ी थी। साइकल में कोई ताला नहीं लगा हुआ था। मैंने हल्की-फुल्की आवाज दी। पर थकावट के कारण वह शख्स गहन निद्रा में होने के कारण नहीं उठा।
फिर मैंने वही 15–20 मिनट अपनी एक्सरसाइज करी। बिना ताले की साईकिल और उसके सामान को ऐसे ही छोड़ कर जाना,मेरे को ठीक नहीं लगा। मन मार कर मैंने उसे उठा ही दिया। पता चला वह एक प्रवासी मजदूर है। और उसका नाम राम सागर है। राम मंदिर में कारसेवा नहीं तो चलो राम सागर की ही का सेवा की जाए। रामसागर परसो दिल्ली से चला था और उसे गोरखपुर जाना है। हम दोनों साथ-साथ साइकिलिंग करते हुए 2 किलोमीटर दूर एक ढाबे पर पहुंचे। रामसागर को वहां चाय नाश्ता करवाया। वही एक ट्रक ड्राइवर ने वायदा करा कि मैं रामसागर को शाहजहांपुर तक ले जाऊंगा। ट्रक ड्राइवर बोला, मैं नहा धोकर आधे घंटे बाद चलूंगा। आप जाएं।
रामसागर को ट्रक ड्राइवर के हवाले करके मैं और मेरी गर्लफ्रेंड मेरी साईकिल आगे चल दिए।🙏🙏
हम सलाम करते है संजीव जिंदल की इस सोच को और आशा करते है हमारे अन्य पाठक भी इसी प्रकार मानवता की मदद क लिए हाथ बढ़ाते रहेंगे |
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