Uttar Pradesh

संपूर्ण देश में गोवध को किया जाए प्रतिबंधित : इलाहाबाद हाई

लखनऊ। भारतीय संस्कृति का गाय किस तरह अभिन्न अंग रही है, कोई भी प्रज्ञावान हिंदू इसे समझ सकता है। इलाहाबाद हाई कोर्ट ने पिछले सप्ताह एक जमानत याचिका रद्द करते हुए गाय की महत्ता परिभाषित किया यह उन सभी लोगों की आंखें खोलने वाला है, जो धर्म की कट्टरता से अपना राष्ट्रीय धर्म गोरक्षा की आवाज उठाने वालों को जोड़कर देखने व कोसने को ही समझते हैं।

एक गंभीर मामले में हाई कोर्ट के न्यायमूर्ति शेखर कुमार यादव ने सम्भल के रहने वाले जावेद की जमानत याचिका रद्द कर दी। जावेद पर आरोप है किएक व्यक्ति की गाय उसने साथियों के साथ चोरी कर उसे जंगल ले जाने वाले बाद चोरी गोवंश को मारकर उसका मांस इकट्ठा किया।

कुछ अहम टिप्पणियां भी हाई कोर्ट ने कीं। गाय की महत्ता बताते हुए कोर्ट ने कहा कि गाय की महिमा का वेदों और पुराणों में भी वर्णन मिलता है। समय-समय पर हिंदुओं ने ही नहीं बल्कि बहुत से मुस्लिम राजाओं ने भी गोवध पर रोक लगाई है।

इसके आर्थिक पक्ष को भी कोर्ट ने वर्णन किया। अपने जीवन काल में एक गाय 410 से 440 लोगों का भोजन जुटाती है। असाध्य रोगों में उसका मल-मूत्र औषधि का काम करता है। इस बात को कोर्ट ने नकारा कि किसी का मौलिक अधिकार गोमांस खाना है।

गोवंश की रक्षा कुछ सालों से महत्वपूर्ण मुद्दा बन गया है। जब बेसहारा घूमती गायों और गोवंश को लोग चोरी छिपे छोटे वाहनों में ,ट्रकों, कंटेनरों में ठूंसकर उन्हें बूचड़खाने में पहुंचा देते हैं।

गाय को कामधेनु के रूप में सनातन धर्म काल में देखने के जगह केवल बीफ कारोबार और कच्चे माल के तौर पर गायों की देखने की आदत ने बड़ी दुर्दशा की है। गायों की दुर्दशा ही मात्र नहीं, वर्तमान आर्थिक बदहाली का प्राचीन आर्यावर्त का भी एक बड़ा कारण है।

गाय की यही महत्ता नहीं है। इसका एक बड़ा आर्थिक आधार भी है। मानव के लिए उपयोगी गाय के दूध और दुग्ध उत्पादों के द्वारा साबित होती है। सौ से अधिक प्रकार के रोगों की गाय का मूत्र से भी औषधि बनाई जा सकती है।

प्राकृतिक खेती में गाय का गोबर खाद और उसके बछड़े किसानी यंत्रों में सहायक होते हैं। यह नया नहीं हैं, सनातनी चेतना के जागरण काल में गोमूत्र से बनी दवाईयां बना अपने पालक पर आर्थिक बोझ नहीं डालती।

गाय की माता रूप में भारतीय संस्कृति में जो प्रतिष्ठा है, वह इसी वजह से है। दैनिक जीवन में गोबर आधारित उपयोगी उत्पाद बनाए जा रहे हैं। गोकाष्ठ, धूपबत्ती, अगरबत्ती, परंपरागत ईंधन गोबर के बनाए जा रहे है।

गोवध देश के 24 राज्यों में प्रतिबंधित है। संपूर्ण भारत में इसे प्रतिबंधित करना चाहिए। गाय को राष्ट्रीय पशु घोषित करने का हाई कोर्ट ने सुझाव दिया है। छोटी खेती के किसानों को गांवों में गाय को बढ़ावा दिया जाए

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