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नन दुष्कर्म मामले में फ्रैंको मुलक्कल को अदालत ने दी क्लीन चिट, जानिए क्या है पूरा केस?

कोट्टायम की एक अदालत ने शुक्रवार को नन बलात्कार मामले में बिशप फ्रैंको मुलक्कल को सभी आरोपों से मुक्त कर दिया। 26 महीने के मुकदमे के बाद केरल की अदालत ने फ्रेंको मुलक्कल को कुराविलंगड में मिशनरीज ऑफ जीसस कॉन्वेंट की एक नन के साथ बलात्कार करने का दोषी नहीं पाया। पीड़िता ने आरोप लगाया था कि 2014 और 2016 के बीच कॉन्वेंट की अपनी यात्राओं के दौरान फ्रेंको ने उसके साथ 13 बार बलात्कार किया था।

 

फ्रेंको मुलक्कल भारत के पहले कैथोलिक बिशप थे, जिन्हें नन के यौन उत्पीड़न के आरोप में गिरफ्तार किया गया था। उसे 2018 में गिरफ्तार किया गया था। अदालत से बाहर निकलते समय मुलक्कल ने कहा, “भगवान सर्वोच्च हैं। सत्य की जीत हुई।” प्रारंभिक रिपोर्टों के अनुसार साइंटिफिक सबूतों की कमी के कारण उन्हें बरी कर दिया गया।

 

अतिरिक्त सत्र न्यायाधीश जी गोपाकुमार ने जालंधर सूबा के पूर्व बिशप को सभी आरोपों से दोषमुक्त करने का फैसला सुनाया। मामले में अभियोजन पक्ष के 39 गवाह और छह बचाव पक्ष के गवाह थे और अभियोजन पक्ष ने 122 दस्तावेज जमा किए थे जबकि बचाव पक्ष ने अदालत के समक्ष 56 दस्तावेज जमा किए थे। अदालत ने एक आदेश के माध्यम से मीडिया को मुकदमे की बंद कमरे की कार्यवाही को कवर करने से रोक दिया था।

क्या है पूरा मामला:

जून 2018 में पुलिस को दी गई अपनी शिकायत में  45 वर्षीय नन ने कहा था कि 5 मई  2014 को बिशप ने कुराविलंगड कॉन्वेंट का दौरा किया था। जहां रात में उन्होंने उसे अपने कमरे में बुलाया और उसे अप्राकृतिक यौन संबंध बनाने के लिए मजबूर किया। नन ने आरोप लगाया था कि 2014 से 2016 के बीच बिशप ने उसके साथ 13 बार रेप किया। शिकायत के बाद कई नन, कार्यकर्ता और राजनीतिक नेता मुलक्कल की गिरफ्तारी की मांग को लेकर आगे आए। उसे 2018 में गिरफ्तार किया गया था। मामले की जांच करने वाले विशेष जांच दल ने बिशप को गिरफ्तार कर लिया और उस पर गलत तरीके से कैद, बलात्कार, अप्राकृतिक यौन संबंध और आपराधिक धमकी का आरोप लगाया।

 

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