CM योगी ने वापस लिए मुजफ्फरनगर दंगों के 77 केस, SC में दाखिल की गई रिपोर्ट
मुजफ्फरनगर में साल 2013 में हुए दंगों से संबंधित 77 केस उत्तर प्रदेश सरकार ने वापस ले लिए हैं। इनमें ज्यादातर केस IPC की धारा 397 के तहत डकैती के आरोप से संबंधित हैं, जिसमें उम्र कैद तक की सजा का प्रविधान है।
मुजफ्फरनगर : यूपी के मुजफ्फरनगर में साल 2013 में हुए दंगों से संबंधित 77 केस उत्तरप्रदेश सरकार ने वापस ले लिए हैं। इनमें ज्यादातर केस IPC की धारा 397 के तहत डकैती के आरोप से संबंधित हैं, जिसमें उम्र कैद तक की सजा का प्रविधान है। प्रदेश की योगी आदित्यनाथ सरकार ने CRPC की धारा 321 में केस वापस लेने के लिए कोई कारण भी नहीं दिया है। सिर्फ इतना कहा गया है कि प्रशासन ने पूर्ण विचार करने के बाद केस वापस लेने का निर्णय लिया है।
यह जानकारी पूर्व और वर्तमान सांसदों और विधायकों के खिलाफ लंबित मुकदमों की विभिन्न प्रदेशों से प्राप्त सूचना के आधार पर न्यायमित्र द्वारा SC में दाखिल की गई रिपोर्ट में दी गई है। रिपोर्ट में यह भी बताया गया है कि कुल 51 पूर्व और वर्तमान सांसदों, विधायकों के खिलाफ मनी लांड्रिंग के मुकदमे लंबित हैं। 121 पूर्व व वर्तमान सांसदों, विधायकों के खिलाफ सीबीआइ के केस लंबित हैं। SC मामले पर सुनवाई करेगा।
भारतीय जनता पार्टी नेता और वकील अश्वनी कुमार उपाध्याय की SC में एक याचिका लंबित है। सांसदों, विधायकों के खिलाफ लंबित मुकदमों की जल्द सुनवाई की मांग पर कोर्ट विचार कर रहा है। पिछली सुनवाई पर SC ने अपने अंतरिम आदेश में कहा था कि धारा 321 के तहत कोई भी मुकदमा हाईकोर्ट की इजाजत के बगैर वापस नहीं लिया जाएगा।
SC ने इस मामले में वरिष्ठ वकील विजय हंसारिया को सुनवाई में मदद के लिए न्यायमित्र नियुक्त किया है। हंसारिया इस मामले में समय-समय पर कोर्ट में रिपोर्ट दाखिल करते हैं और कोर्ट को सुझाव देते हैं। इसी क्रम में उन्होंने 24 अगस्त को 14वीं रिपोर्ट दाखिल की है, जिसमें विभिन्न राज्यों और केंद्र सरकार द्वारा सांसदों, विधायकों के खिलाफ लंबित मुकदमों का दिया गया ब्योरा पेश किया गया है। साथ ही सुझाव दिए गए हैं।
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