मुख्यमंत्री कल्याण सिंह की नहीं पूरी हो पाई आखिरी इच्छा, जाने क्या थी उनकी आखिरी इच्छा !
इतिहास को रचने वाले पूर्व मुख्यमंत्री कल्याण सिंह भी एक इतिहास बन गए। कल्याण सिंह, छह दिसंबर 1992 के जिनके एक निर्णय ने लाखों रामभक्तों के मनोरथ को पूरा करने का रास्ता खोल दिया, लेकिन खुद उनकी आखिरी इच्छा पूरी न हो सकी। राम मंदिर के शिलान्यास से खुश पूर्व मुख्यमंत्री भव्य राम मंदिर को देखना चाहते थे। मंदिर बनने की तैयारियां भी होने लगी पर नींव का ये पत्थर समय से पहले दरक गया।
89 वर्ष की आयु में उनका शरीर बीमारियों के चलते कमजोर हो गया उसके बावजूद भी वे भूमिपूजन में शामिल होना चाहते थे। कोरोना के चलते उन्हें वहां न जाने को कहा गया। कल्याण सिंह ने पांच अगस्त को अपने लखनऊ में आवास पर ही दीपावली मनाई। उ
नसे जब मंदिर निर्माण के बारे पूछा गया तो वह बोले – ‘श्री राम देश के करोड़ों हिंदू लोगों की आस्था का आधार हैं। उन्हीं करोड़ों लोगों में से मैं भी एक हूं। मेरे दिली इच्छा है कि भव्य राम मंदिर का निर्माण हो। अब यह बनने जा रहा है। चैन से बड़ी शांति से मैं अब मर सकता हूं। हां, मेरी इच्छा है कि मैं अपने जीवन में ही भव्य मंदिर को बना हुआ देखना चाहता हूं।
कल्याण सिंह को राम मंदिर आंदोलन के सूत्रधारा माना जाता है। जब हजारों लोग छह दिसंबर, 1992 को विवादित ढांचा ढहाने के लिए अयोध्या पहुंचे, तब मुख्यमंत्री पद पर आसीन कल्याण सिंह ने पुलिस-प्रशासन के बार-बार कहने पर भी पर गोली चलाने की मंजूरी नहीं दी गई और ढांचा ढहते ही इस पूरी घटना की स्वयं जिम्मेदारी लेते कल्याण सिंह शाम को राजभवन पहुंच उन्होंने अपने मुख्यमंत्री पद से इस्तीफा दे दिया था। पूरी प्रदेश सरकार को उसी मामले में बर्खास्त कर दिया गया था। मुकदमा चलने के बाद भी उन्हें अपने फैसले पर जरा सा भी मलाल नहीं हुआ।
कल्याण सिंह की भावनाएं
कल्याण सिंह ने कहा मुझे अपने फैसले पर गर्व है मैंने लाकूड राम भक्तों की आस्था को बचाया है मेरे माथे पर एक भी राम भक्तों की हत्या का कलंक नहीं लगा इतिहास का भी यही लिखेंगे कि राम मंदिर निर्माण की भूमिका 6 दिसंबर 1992 से ही शुरू हुई थी मुझे लगता है अगर ढांचा ना करता तो न्यायालय भी मंदिर की जमीन देने का निर्णय ना ले पाती।
अपनी अटैची में छह दिसंबर, 1992 का आदेश रखे थे। अमूमन देखा जाता है कि सभी का राजनीतिक और निजी जीवन अलग होता है उनके लक्ष्य अलग होते हैं लेकिन कल्याण सिंह ने इन सभी जब वह सत्ता के शिखर पर बैठे थे तब से उनके मन में राम मंदिर ही बसा था
इतिहास के पन्नों में अमर हो गए बाबूजी
प्रसिद्ध दिग्गज नेता बाबूजी के नाम से प्रसिद्ध थे। उन्होंने कहा कि जब भी राम मंदिर का इतिहास लिखा जायेगा। देशव्यापी आंदोलन, आंदोलन चलाने वाले, गोली खाने वाले राम भक्तों का नाम भी अमर हो जायेगा। अयोध्या ढांचा विध्वंस का उल्लेख भी किया जायेगा। राम मंदिर आंदोलन के साथ बाबू जी का भी नाम इतिहास के पन्नों में अमर हो गया है।
28 साल बाद हुए बरी
बाबरी मस्जिद को तोड़ने के मामले में कल्याण सिंह लालकृष्ण आडवाणी, मुरली मनोहर जोशी, उमा भारती, विनय कटियार समेत कई दिग्गज नेताओं पर मुकदमा चलाया गया था राम मंदिर भूमि पूजन के बाद सीबीआई जांच के बाद अदालत का विशेष फैसला आया और 28 साल बाद इन सभी आरोपियों को बरी किया गया।