
Chhattisgarh : बिलासपुर के ग्रामीण इलाकों मे हाथियों का आतंक, लोगों का बाहर निकलना मुश्किल
छत्तीसगढ़ में हाथियों का बड़ा खौफ है। हाथियों ने कई जिलों को तबाह कर दिया और लोगों की जान ले ली। पिछले तीन साल में राज्य में हाथियों के हमले में 204 लोगों की मौत हो चुकी है. इस बीच 45 हाथियों की भी मौत हो गई है। सरकारी आंकड़ों के मुताबिक 2018, 2019 और 2020 में हाथियों के हमले में 204 लोगों की मौत हो चुकी है. इतना ही नहीं इस दौरान 97 लोग घायल हो गए हैं। इस दौरान हाथियों द्वारा फसल क्षति के 66,582 मामले, घरों को नुकसान के 5047 मामले और अन्य संपत्तियों को नुकसान के 3151 मामले सामने आए हैं. नतीजतन, सरकार ने इन तीन वर्षों में लोगों को 57,81,63,655 रुपये का भुगतान किया है।
यहां देखा जा सकता है हाथियों का खौफ
छत्तीसगढ़ के उत्तरी हिस्से में सरगुजा, जशपुर, सूरजपुर, रायगढ़ और कोरबा जिलों में इंसानों और हाथियों के बीच हुई झड़पों में ज्यादातर लोगों की जान चली गई है. छत्तीसगढ़ के वन मंत्री के मुताबिक पिछले तीन साल में राज्य में 45 हाथियों की मौत हुई है. इनमें से 2018 में 16 हाथियों की, 2019 में 11 और 2020 में 18 हाथियों की मौत हुई।
सरकार ने उठाया यह कदम
राज्य सरकार ने हाथियों के हमलों को रोकने के लिए कोरबा में एक लेमूर हाथी अभयारण्य बनाने की घोषणा की है। 450 वर्ग किलोमीटर घने जंगलों वाले लेमरू वन अभ्यारण्य में हाथियों को आरक्षित किया जाएगा। इस संबंध में मुख्यमंत्री भूपेश बघेल ने कहा कि हाथियों की आवाजाही से अक्सर जान-माल का नुकसान होता है. इसका एक मुख्य कारण यह है कि हाथियों की अपने पसंदीदा आवास तक पहुंच नहीं है।