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करियर: केवल नेट पास कर शिक्षक बनने की राह होगी कठिन, पीएचडी को है वेटेज

शिक्षक बनने के लिए प्रयासरत  नेट (नेशनल एलिजिबिलिटी टेस्ट) पास कर चुके लाखों नौजवानों की मुश्किलें बढ़ सकती हैं।सूत्रों के अनुसार आने वाले समय में सहायक प्रोफेसर की सीधी भर्ती की प्रक्रिया में पीएचडी को भी लगभग अनिवार्य करने की तैयारियां चल रही है।

आपको बता दे की अभी नेट को न्यूनतम अर्हता के रूप में मान्यता मिली हुई है, वहां भी पीएचडी उम्मीदवारों को ज्यादा तरजीह दी जा रही है। अतः यदि यह नियम बना तो आने वाले दिनों में नेशनल टेस्टिंग एजेंसी द्वारा आयोजित की जाने वाली परीक्षा महत्वहीन साबित हो सकती है।

आपको बता  दें विश्वविद्यालयों में सहायक प्रोफेसर की नियुक्ति के लिए अभी नेट या पीएचडी में से एक की  न्यूनतम योग्यता होना   जरूरी है। जो भी उम्मीदवार पीएचडी किये होते है,उन्हें नेट करने की जरूरत नहीं होती  है। जो भी नेट  किया हुआ है, वह बिना पीएचडी के भी सहायक प्रोफेसर के पद पर नियुक्ति पा सकता है, आपको बता दें  पिछले समय से इस नियम का क्रियान्वयन हो रहा है।

बनाए गए इन नियमों को विश्वविद्यालयों द्वारा अपने-अपने तरीके से लागू किया जा सकता है। आपको बता दें यूजीसी ने दोनों अर्हताओं को मंजूरी दी है। लेकिन नियुक्ति प्रक्रिया में से नेट करने वाले उम्मीदवारों को 5-10 अंकों का वेटेज दिया जाता है, जबकि पीएचडी में 30 अंकों।

प्रतियोगियों को मिलने वाला यह गैप इतना अधिक हो जाता है कि मेरिट बनने के बाद नेट किया हुआ उम्मीदवारकाफी पिछड़ जाता है। और नेट उम्मीदवार के लिए नियुक्ति के मौके नहीं रह जाते हैं। अभी हाल में बिहार में निकाली गयी भर्तियों में नेट के लिए पांच और पीएचडी के लिए 30 अंकों तक का  वेटेज दिया गया।

अब इन दिनों  यूजीसी के नए नियमों पर भी अमल  होने जा रहा है, इसमें  सहायक प्रोफेसर की नियुक्ति में नेट करने वालों के लिए सभी मौके समाप्त  हो जाएंगे। जबकि नेट एक न्यूनतम अर्हता  रहेगी, लेकिन शोध पत्रों के प्रकाशन, शिक्षक अनुभव समेत इतनी शर्तें जोड़ दी गई हैं कि नेट उम्मीदवारों के लिए दरवाजे करीब-करीब बंद हो जाएंगे।

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