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Cannes 2022 : जानिये कान फिल्म फेस्टिवल से जुडी ख़ास बाते …

दुनिया का सबसे बड़ा और बेहद ही ग्लैमरस फिल्म फेस्टिवल कान 2022 भारत के लिए बेहद ही खास है। वजह सिर्फ एक नहीं बल्कि कई सारी हैं। इस बार कान फिल्म फेस्टिवल(Cannes Film Festival) 17 मई से शुरू होकर 28 मई 2022 चलेगा। जहां देश आजादी के 75 साल पूरे होने पर आजादी का अमृत महोत्सव(Amrit Mahotsav) मना रहा है। वहीं भारत और फ्रांस के कूटनीतिक रिश्ते को भी 75 वर्ष पूरे हो रहे हैं। जबकि कान फिल्म फेस्टिवल की भी यह 75वीं वर्षगांठ है।

भारत को मिला है “country of honour” का खिताब

भारत(india) के लिए कान 2022 खास होने की पहली वजह है, इंडिया को कान फिल्म मार्केट में “COUNTRY OF HONOUR”के रुप में चुना जाना। जो कि फिल्म फेस्टिवल के साथ चलता है। यह पहली बार है जब किसी देश को फेस्टिवल में ‘कंट्री ऑफ ऑनर’ बनाया जा रहा है। यह परंपरा इस साल से ही शुरू होने जा रही है।

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6 भारतीय फिल्मों की कान में होगी स्क्रीनिंग

कान फिल्म फेस्टिवल में हर साल कई देशों की अलग-अलग फिल्मों को दिखाया जाता है। जिनमें भारत की फिल्में भी शामिल होती हैं। कान 2022 में भी भारत की 6 फिल्मों की स्क्रीनिंग की जाएगी। ये सभी फिल्में ओलंपिया (Olympia) सेक्शन में दिखाई जाएंगी।

पहली है, रॉकेटरी- द नाम्बी इफेक्ट-आर माधवन की इस फिल्म का प्रिमियर पहली बार कान में ही होने जा रहा है। इसके अलावा मराठी फिल्म ‘गोदावरी’, हिंदी में’अल्फा बीटा गामा’, मिशिंग में ‘बूम्बा राइड’, हिंदी और मराठी में’ धुई’, मलयालम में ‘ट्री फुल ऑफ पैरेट्स’ शामिल हैं।

सत्यजीत रे(Satyajit Ray) की “प्रतिद्वंद्वी” का प्रदर्शन

महान फिल्मकार सत्यजीत रे की दुर्लभ फिल्म ‘‘प्रतिद्वंद्वी’’ को इस बार कान फिल्म महोत्सव क्लासिक्स 2022 सेक्शन के अंर्तगत प्रदर्शित किया जाएगा। भारत सरकार के सूचना एवं प्रसारण मंत्रालय द्वारा शुरू की गई एक परियोजना राष्ट्रीय फिल्म विरासत मिशन के तहत ‘‘प्रतिद्वंद्वी’’ के प्रिंट का नवीनीकरण किया गया है। साथ ही अरविंदन गोविंदन की “द सर्कस टेंट” भी इस सेक्शन में प्रदर्शित की जाएगी।

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दीपिका पादुकोण(Deepika Padukone) बनीं जूरी का हिस्सा

इस साल अभिनेत्री दीपिका पादुकोण मुख्य फीचर फिल्म प्रतियोगिता में बतौर जूरी नजर आने वाली हैं। इस ज्यूरी के अध्यक्ष फ्रांस के दिग्गज अभिनेता विसेंट लिंडन हैं।

Country of honour के तौर पर कान में भारत की क्या है भूमिका?

कंट्री ऑफ ऑनर के रूप में भारत ने कार्यक्रम की शुरुआत की और फिल्म उद्योग में देश के योगदान को दर्शाया। यहां केंद्रीय सूचना प्रसारण मंत्री अनुराग ठाकुर के नेतृत्व में भारतीय प्रतिनिधिमंडल ने भारत को कंटेंट हब ऑफ द वल्र्ड के तौर पर रिप्रेज़ेंट किया। अनुराग ठाकुर ने यहां इंडियन पवेलियन का उद्घाटन करते हुए भारत में विदेशी फिल्मों के निर्माण को प्रोत्साहित किया। साथ ही IFFI के 53वें एडिशन के पोस्टर का भी अनावरण किया गया।

भारतीय प्रतिनिधिमंडल में केंद्रिय मंत्री अनुराग ठाकुर के साथ 12 कलाकार शामिल हुए हैं। जिनमें अक्षय कुमार, एआर रहमान, लोक कलाकार मामे खान, नवाजुद्दीन सिद्दीकी, मलयालम-तमिल अभिनेत्री नयनतारा, पूजा हेगड़े, प्रसून जोशी, आर माधवन, संगीतकार रिकीकेज, फिल्म मेकर शेखर कपूर, तमिल-तेलगू- हिंदी अभिनेत्री तमन्ना भाटिया और वाणी त्रिपाठी शामिल हैं।

फिल्म निर्माण के लिए स्कीमों की घोषणा

अनुराग ठाकुर ने यहां भारत में विदेशी फिल्मों के निर्माण को प्रोत्साहन देने के लिए दो स्कीमों की घोषणा की। incentive scheme for audio-visual co-production और incentive scheme for shooting of foreign films in india, जिसके तहत भारत में विदेशी फिल्मों की शूटिंग के लिए 2.50 करोड़ रुपए की प्रोत्साहन राशि दी जाएगी। इसके साथ ही को-प्रोडक्शन के लिए 2 करोड़ तक का प्रोत्साहन दिया जाएगा।

5 स्टार्टअप को सिनेमा जगत में पिच करने का मिलेगा मौका

भारत कान फिल्म फेस्टिवल में कंट्री ऑफ ऑनर के रूप में 5 नए स्टार्टअप्स को ऑडियो-विजुअल उद्योग को आगे बढ़ाने का अवसर देगा। साथ ही एनिमेशन डे नेटवर्किंग में दस पेशेवरों को भाग लेने का भी मौका देगा।

कान फिल्म फेस्टिवल का इतिहास :

इस बार कान फिल्म फेस्टिवल अपनी 75वीं वर्षगांठ मना रहा है और ऐसे में इसका इतिहास 75 सालों से भी पुराना है। सिर्फ यही नहीं दुनिया के सबसे क्रूर तानाशाह हिटलर का भी इस कान फिल्म SSफेस्टिवल से गहरा नाता है।

असल में इस फेस्टिवल की शुरुआत 1939 में ही हो गई थी। इसे शुरू करने के पीछे फ्रांस का मकसद दो तानाशाह, इटली के बेनिटो मुसोलिनी और जर्मनी के एडॉल्फ हिटलर को मुंहतोड़ जवाब देना था।

दरअसल 1932 में दुनिया के पहले एनुअल इंटरनेशनल फिल्म फेस्टिवल की शुरूआत वेनिस में की गई थी। जहां ये दोनों तानाशाह अपनी मर्जी से फिल्में चुनते और अपनी मर्जी से अवॉर्ड भी दे दिया करते थे। जिसके बाद फ्रांस ने इसकी बराबरी करते हुए एक दूसरे फिल्म फेस्टिवल कान फिल्म फेस्टिवल की शुरुआत करने का फैसला किया।

जून 1939 में कान फिल्म फेस्टिवल की स्थापना हुई। इन सबके बाद पेरिस में ये घोषणा की गई कि 1 से 20 सितंबर तक ये फेस्टिवल चलेगा। 1 सितंबर की सुबह फिल्म की स्क्रीनिंग जैसे ही शुरू हुई खबर आ गयी कि हिटलर ने पोलैंड पर हमला बोल दिया है। इसी के दो दिन बाद फ्रांस और ब्रिटेन ने जर्मनी पर जंग का एलान कर दिया। ये सेकंडवर्ल्डवॉर की शुरुआत थी, जो करीब 6 साल तक चली।

जंग खत्म होने के बाद 1946 में फ्रांस की प्रॉविन्शियल सरकार ने फ्रेंचरिवेरा में टूरिस्ट्स को दोबारा आकर्षित करने के लिए कान फिल्म फेस्टिवल की शुरुआत को मंजूरी दे दी। इसके बाद 20 सितंबर 1946 में इस फेस्टिवल की शुरुआत हुई।

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