बीआरओ ने किया आखिरी ब्लास्ट, सेला-टनल के काम में आएगी तेजी
बीआरओ के महानिदेशक, लेफ्टिनेंट जनरल राजीव चौधरी ने दिल्ली में वीडियो-कॉन्फ्रेंसिंग के जरिए सेला-टनल के एस्केप-ट्यूब (टनल) के लास्ट-ब्लास्ट को किया है
भारत और चीन के तनाव की वजह से आए दिन कुछ न कुछ बवाल होता रहता है। लेकिन सरकार ने एलएसी पर चल रहे तनाव के बीच बॉर्डर रोड ऑर्गेनाइजेशन यानि बीआरओ ने सामरिक सुरंग, सेला-टनल के आखिरी ब्लास्ट को अंजाम दे दिया है। अब इस टनल के काम में तेजी आ सकती है और ये सुरंग जल्द ही बनकर तैयार हो जाएगी। फरवरी 2019 में प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने इस ऑल-वेदर टनल की नींव रखी थी।
ये टनल अरूणाचल प्रदेश के बलीपुर-चारदूर-तवांग रोड को जोड़ने वाली करीब डेढ़ किलोमीटर (1555 मीटर) लंबी मुख्य टनल है। इस टनल की एस्केप-ट्यूब (980 मीटर) का काम बेहद तेजी से चल रहा है। रक्षा मंत्रालय का दावा है कि ये टनल बनने के बाद दुनिया की सबसे लंबी सुरंग बन जाएगी। ये टनल 13 हजार फीट की ऊंचाई पर बन रही है।
रक्षा मंत्रालय के मुताबिक, गुरूवार को बीआरओ के महानिदेशक, लेफ्टिनेंट जनरल राजीव चौधरी ने दिल्ली में वीडियो-कॉन्फ्रेंसिंग के जरिए सेला-टनल के एस्केप-ट्यूब (टनल) के लास्ट-ब्लास्ट को किया है। इस दौरान बीआरओ के सीनियर अधिकारी, प्रोजेक्ट-वर्तक के चीफ इंजीनियर और 42 टास्क फोर्स के साथ टनल बनाने में अहम भूमिका निभाने वाली कंपनी, पटेल इंजीनियरिंग लिमिटेड के प्रतिनिधि भी मौजूद थे।
सेला टनल को न्यू आस्ट्रियन टनलिंग तकनीक से तैयार किया जा रहा है। सुरंग को स्नो-लाइन से काफी नीचे बनाया जा रहा है ताकि सर्दियों के मौसम में बर्फ हटाने की जरूरत ना पड़े। इस टऩल के बनने से असम के तेजपुर से चीन सीमा से लगे तवांग तक पहुंचने में काफी तेजी आएगी। फिलहाल सेला-पास (दर्रे) पर गाड़ियों की स्पीड काफी कम हो जाती है। सुरंग निर्माण पूरा होने पर अरूणाचल प्रदेश सहित पूरे उत्तर-पूर्व राज्य क्षेत्र का विकास तेजी से होगा। इसके अलावा विषम परिस्थिति में सैनिकों के रेस्कयू ऑपरेशन में भी काफी तेजी आएगी।
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