BRICS Summit 2021 में उठा अफगानिस्तान का मुद्दा, भारत-रूस और चीन ने जताई चिंता
नई दिल्ली: विश्व के पांच बड़े देशों भारत, रूस, ब्राजील, दक्षिण अफ्रीका और चीन के संगठन ब्रिक्स ने अफगानिस्तान के हालात पर चिंता जताई है। गुरुवार को ब्रिक्स सम्मेलन में अपील की गई कि अफगान को आतंकवाद की पनाहगाह न बनने दिया जाए।
प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी ने संगठन के प्रमुखों की इस वर्चुअल बैठक की अध्यक्षता की। यह ब्रिक्स की 15वीं सालाना बैठक थी और इस साल के लिए ब्रिक्स का अध्यक्ष भारत है। अपने संबोधन में पीएम मोदी ने जानकारी दी कि आतंकवाद के खिलाफ ब्रिक्स देशों ने एक कार्य योजना को स्वीकृति दे दी है, जिसका प्रस्ताव भारत की ओर से ही दिया गया था।
भारतीय प्रधानमंत्री ने कहा कि, ब्रिक्स को अगले 15 वर्षों के दौरान और मजबूत बनाने का लक्ष्य होना चाहिए। भारत ने इस तरह से स्पष्ट कर दिया कि वह बीते तीन वर्षों में क्वाड (चार देशों का संगठन) का अमेरिका के नेतृत्व में अहम सदस्य बनने के बावजूद ब्रिक्स को लेकर प्रतिबद्ध है।
वर्चुअल सम्मेलन में चीन के राष्ट्रपति शी चिनफिंग, रूसी राष्ट्रपति व्लादिमीर पुतिन, दक्षिण अफ्रीका के राष्ट्रपति साइरल रामाफोसा और ब्राजील के राष्ट्रपति जेयर बोलसेनारो की ओर से भी ब्रिक्स को मजबूत बनाने की प्रतिबद्धता जताई गई। साथ ही बैठक में चिनफिंग और पुतिन ने अपने भाषण में सीधे तौर पर अफगानिस्तान के हालात का जिक्र किया।
हालांकि, सभी देशों की ओर से बाद में बताया गया कि अफगानिस्तान आंतरिक चर्चा में एक बड़ा मुद्दा रहा। संगठन की ओर से जारी घोषणा पत्र में अफगान में सत्ता हासिल करने वाले तालिबान से परोक्ष तौर पर आशा की गई है कि दूसरे देशों में वह आतंकवादी घटनाओं को अंजाम देने से वाले संगठनों को पनपने नहीं देंगे। इस तरह भारत, चीन और रूस ने खास तौर पर अपनी चिंताओं को सामने रखा।
सभी पक्षों से घोषणा पत्र में अफगानिस्तान की स्थिति पर चिंता जताते हुए कहा गया कि, शीघ्रता से वे हिंसा का रास्ता छोड़कर हालात का समाधान शांतिपूर्ण तरीके से निकालने का प्रयास करें। आशा की गई है कि आतंकवाद के खिलाफ अफगानिस्तान में लड़ाई को प्राथमिकता दी जाएगी। साथ ही उसे नशा उत्पादों के कारोबार का केंद्र नहीं बनने दिया जाएगा।