
बड़ी खबर: यूक्रेन से सुरक्षित घर वापस लौटे छात्रों ने किया पीएम मोदी का शुक्रिया
भारत सरकार का दिल से शुक्रिया अदा करते हैं जो छात्रों को वहां से फ्री निकालकर ला रही
यूक्रेन के हालात बेहद खराब हैं। कीव, खारकीव में बेसमेंट में रुके छात्रों का न रोटी मिल रही और न पानी। पानी मिल रहा तो नाममात्र के लिए। पता नहीं कैसे सांसें चल रही हैं। रोमानिया बॉर्डर पर प्यार से निकाला जा रहा है। पॉलैंड बॉर्डर पर छात्रों को उत्पीड़ित किया जा रहा है। छात्राओं की भी पिटाई हो रही है। भारत सरकार का दिल से शुक्रिया अदा करते हैं जो छात्रों को वहां से फ्री निकालकर ला रही है। यूक्रेन से लौटे एमबीबीएस छात्र जैद ने वहां के हालात बयां करते हुए डेली इंसाइडर की टीम को बताया।
बुलंदशहर के गांव चंद्रावली के मूल निवासी एवं हाल निवासी महालक्ष्मी कॉलोनी डीएम रोड इंशाद पहलवान के पुत्र जैद यूक्रेन में उजहोरोद मेडिकल विश्वविद्यालय में एमबीबीएस प्रथम वर्ष का छात्र है। जैद 8 दिसंबर को यूक्रेन गए थे। बुलंदशहर घर लौटने पर मंगलवार को जैद ने डेली इंसाइडर से बातचीत में बताया कि यूक्रेन में रूस के हमले के बाद इमरजेंसी का सायरन बज गया था। सरकार की ओर से मैसेज आया कि जो जहां पर है वहीं पर रहे। सभी को बेसमैंट में रहने को कहा गया है। बेसमैंट में सभी छात्र एकजुट होकर रह रहे हैं। खास बात यह है कि भारतीय छात्रों में गजब का तालमेल है।
– सरकार का दिल से शुक्रिया
छात्र जैद ने भारत सरकार का दिल से शुक्रिया अदा करते हुए बताया कि वह हवाई यात्रा फ्री करके सरकार ने भारत बुलाए हैं।
खुशी बोली, पीएम का बारंबार आभार….
यूक्रेन में हो रहे हमलों के बीच सोमवार की देर रात वतन लौटी गांव बिगराऊं की एमबीबीएस छात्रा खुशी माहुर की खुशी का ठिकाना नहीं है। परिजनों से मिलकर खुशी प्रफुल्लित हो उठी। बिटिया के सकुशल घर पहुंचने पर परिजनों ने मिठाई वितरित कर खुशी जाहिर करते हुए प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी का बारंबार आभार व्यक्त किया।
गांव बिगराऊं के एयर फोर्स में कार्यरत भगवान सहाय माहुर की पुत्री खुशी माहुर यूक्रेन के टर्नोफिल यूनिवर्सिटी में एमबीबीएस थर्ड सेमेस्टर की पढ़ाई कर रही है। रूस द्वारा यूक्रेन पर शुरू हुए हमलों के बाद छात्रा खुशी और उसके परिजन भारी चिंता में थे। खुशी माहुर ने बताया कि रूस द्वारा हुए हमलों के बाद 4 दिन भारी खोफ में बीते। कॉलेज में भारत के सभी छात्र 16 फरवरी को यूनिटी डे मनाने के बाद अपने-अपने हॉस्टलों में चले गए।