पीलीभीत के राइस मिलरों का बड़ा फैसला, राइस मिलों को बंद करने को लेकर पीएम सीएम को सौंपा ज्ञापन
चावल भारतीय खाद्य निगम को नमी, टूटन और डैमेज निकालकर 67% देना होता है। व्यापारियों ने कहा कि राइस के तकनीकी मापदंडों में इस साल बदलाव किया जा रहा है।
बरेली : कस्टम मिलिंग में आने वाली समस्याओं को यूपी के पीलीभीत में लेकर नगर के राइस मिलरों ने एक बैठक की। इसमें वर्ष 2021-22 में उन्होंने राइस मिल बंद करने का फैसला लेते हुए पीएम और सीएम को संबोधित करते हुए विधायक को ज्ञापन सौंपा। दिए गए ज्ञापन में राइस मिलर्स एसोसिएशन की ओर से कहा गया कि क्रय केंद्रों पर खरीदा हुआ धान समर्थन मूल्य योजना के अंतर्गत चावल मिलों को कस्टम मिलिंग के लिए दिया जाता है।
चावल भारतीय खाद्य निगम को नमी, टूटन और डैमेज निकालकर 67% देना होता है। व्यापारियों ने कहा कि राइस के तकनीकी मापदंडों में इस साल बदलाव किया जा रहा है। सरकारी मानक को धान में टूटन की समस्या को लेकर पूरा करने में पहले से ही उन्हें समस्या आ रही है।
पिछले सीजन में भी इस परेशानी के कारण से सरकारी चावल को कई राइस मिलर नहीं दे सके। इन सभी मुद्दों के चलते राइस मिल बंद करने का उन्होंने निर्णय लिया है। इसके साथ ही मांग कि है कि सीएमआर धान से बनने वाले चावल की भरपाई की दर घटाई जाए। चावल की वास्तविक भरपाई के आधार पर इसका पुनर्निर्धारण किया जाए।
दस रुपये से बढ़ाकर कस्टम मिलिंग की मजदूरी 250 रुपये प्रति क्विंटल की जाए। वर्ष 2012 और उससे पूर्व की तरह किसानों को समर्थन मूल्य योजना का लाभ देने के लिए केंद्रीय पूल की अपेक्षा चावल उतार की व्यवस्था राज्य पूल में खाद्य और रसद विभाग के द्वारा की जाए जिससे भ्रष्टाचार पर रोका जा सके जिससे उनकी उपज का अधिकतम मूल्य किसानों को मिल सके।
धान खरीद व्यवस्था सहकारी समितियों, खाद्य एवं रसद विभाग की जगह पर आढ़तियों, मिलरों के द्वारा कमीशन पर की जाए। उद्योग को भी इन दोनों व्यवस्थाओं से बदलाव के साथ ही जीवनदान मिलेगा। बैठक में अध्यक्ष सुखदेव सिंह, महामंत्री बृजेश गुप्ता, कोषाध्यक्ष नवीन गुप्ता समेत लगभग 25 राइस मिलर्स शामिल रहे।
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