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“कर्नाटक के स्कूली पाठ्यक्रम शामिल होगी भगवद गीता” – सीएम बसवराज बोम्मई
कर्नाटक के मुख्यमंत्री बसवराज बोम्मई ने शनिवार (19 मार्च) को भगवद गीता को स्कूल के पाठ्यक्रम के में शामिल करने को लेकर बात कही। उन्होंने कहा कि इस पर चर्चा करने के बाद कॉल लिया जाएगा।
कर्नाटक के मुख्यमंत्री ने एक मीडिया संस्थान से बात करते हुए कहा, “हमारे शिक्षा मंत्री भगवद गीता को पाठ्यक्रम में शामिल करने के बारे में चर्चा कर रहे हैं। इस संबंध में शिक्षा विभाग से जानकारी मिलने के बाद इस पर फैसला लिया जाएगा।”
कर्नाटक के शिक्षा मंत्री बीसी नागेश ने शुक्रवार को कहा था कि भगवद गीता केवल हिंदुओं के लिए नहीं है और अगर विशेषज्ञों ने सुझाव दिया तो इसे अगले साल से दक्षिणी राज्य के स्कूलों में शामिल किया जाएगा। नागेश ने कहा, “भगवद गीता केवल हिंदुओं के लिए नहीं है, बल्कि सभी के लिए है। जानकारों की मानें तो इसे निश्चित रूप से सिलेबस में शामिल किया जाना चाहिए – इस साल से नहीं बल्कि अगले साल से।”
मीडिया रिपोर्ट्स के अनुसार उनकी टिप्पणी गुजरात द्वारा शैक्षणिक वर्ष 2022-23 से कक्षा 6 से 12 के छात्रों के लिए स्कूल पाठ्यक्रम के एक भाग के रूप में भगवद गीता को पेश करने के निर्णय के मद्देनजर आई है। भगवद गीता को स्कूलों में शामिल करने पर, मैसूर के वरिष्ठ कांग्रेस नेता और पूर्व मंत्री तनवीर सैत ने शनिवार को कहा कि भगवद गीता को स्कूल के पाठ्यक्रम में शामिल करना “खतरनाक” है। यह “कोविड -19 महामारी” जितना खतरनाक है।
सैत ने कहा कि इस तरह के फैसले से स्कूली बच्चे “अकादमिक एक्सीलेंस में पिछड़ जाएंगे।” कांग्रेस विधायक ने कहा कि चुनाव के दौरान राजनीति करना एक बार को माना जा सकता है, लेकिन सत्ता में आने के बाद धर्मनिरपेक्ष सिद्धांतों का पालन किया जाना चाहिए।
इस बीच, केंद्रीय मंत्री प्रह्लाद जोशी ने कहा कि हर राज्य को अपने स्कूली पाठ्यक्रम में भगवद गीता को शामिल करने पर विचार करना चाहिए। एएनआई के अनुसार उन्होंने कहा, “भगवद गीता हमें नैतिकता सिखाती है। यह हमें समाज की भलाई के प्रति जिम्मेदारी सिखाती है। कई नैतिक कहानियां हैं जो हमारे छात्रों को प्रेरित कर सकती हैं। हर राज्य सरकार इस बारे में सोच सकती है।