ओलंपिक में तीन बार स्वर्ण पदक जिताने वाले दिग्गज हॉकी खिलाड़ी “बलवीर सिंह सीनियर” का निधन
ओलंपिक में देश को 3 बार हॉकी में गोल्ड मेडल जिताने वाले महान खिलाड़ी बलवीर सिंह सीनियर अब हमारे बीच नहीं रहे.
बलबीर सिंह सीनियर की 8 मई को तबियत खराब होने पर मोहाली के फोर्टिस अस्पताल में भर्ती करवाया गया. 18 मई से उनकी तबियत नाजुक थी. 95 वर्ष के बलवीर सिंह में भले ही शरीर से ताकत नहीं थी, लेकिन आज भी वही जोश था.
कुछ विशेष
बलवीर सिंह सीनियर का जन्म 10 अक्टूबर 1924 को हरिपुर, पंजाब में हुआ, बलवीर सिंह सीनियर ने 3 बार देश के लिए ओलंपिक में स्वर्ण पदक भी जीत. 1957 में बलवीर सिंह को पद्मश्री के सम्मना से नवाजा गया.
बलवीर सिंह सीनियर एक ऐसे खिलाड़ी है, जिन्होंने सर्वाधिक हॉकी गोल का रिकॉर्ड अपने नाम किया है.
1952 में ओलंपिक के दौरान फाइनल में बलवीर सिंह ने नीदरलैंड के विरुद्ध खेलते हुए 5 गोल का रिकॉर्ड बनाया था.
बलबीर सिंह को बलवीर सिंह सीनियर क्यों कहा जाता है
बलबीर सिंह को “बलवीर सिंह सीनियर” इसलिए कहा जाता है, जिससे उन्हें बाकी खिलाडियों से भिन्न रखा जा सके. एक सम्मना के रूप में यह पहचान है.
1975 में बलवीर सिंह सीनियर भारतीय हॉकी के मैनेजर और चीफ कोच थे.
उन्होंने कोच रहते भारत के पुरुषों का हॉकी वर्ल्डकप जीत
2012 में लंदन ओलंपिक के दौरान रॉयल ओपेरा हाउस के द्वारा बलवीर सिंह सीनियर का सम्मान किया गया.
परिवार
बलवीर सिंह के पिता दलीप सिंह दोसांजा स्वतंत्रता सेनानी थे, बलवीर सिंह सीनियर की पत्नी सुशील लाहौर के पास मॉडल टाउन की थीं
बलवीर सिंह सीनियर के 3 बेटे, 1 बेटी है. सभी कनाडा में रहते है. और बहुएं चीन, सिंगापुर, यूक्रेन से बिलॉंग करती हैं.
कैसे शुरू किया हॉकी
बलवीर सिंह सीनियर का अगर शुरुआती जीवन देखें तो उसमें हरबैल सिंह का नाम अहम है क्योंकि इन्होंने ने बलवीर को खालसा कॉलेज में आने को कहा और हॉकी की ट्रेनिंग शुरू कर दी.
हरबैल सिंह ने भारतीय नेशनल टीम हॉकी को हेलसिंकी मेलबॉर्न ओलंपिक के लिए तैयार किया
अचीवमेंट
डोमिनिकन रिपब्लिक द्वारा जारी किए गए डाक टिकट पर
बलवीर सिंह सीनियर और गुरुदेव सिंह थे. यह डाक टिकट 1956 में मेलबॉर्न ओलंपिक की याद में जारी किया गया था .
2006 में उन्हें अच्छा सिख खिलाड़ी घोषित किया गया
2015 में उन्हें मेजर ध्यानचंद लाइफटाइम अचीवमेंट के अवार्ड से सम्मानित किया गया.