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सिर्फ 30ml व्हिस्‍की पीना सेफ, इससे ऊपर बीमारी का घर: डॉ. आरके धीमान   

UP में पहली बार खुला ‘अल्‍कोहल यूज डिजास्‍टर क्‍लीनिक’, छुड़ाई जाएगी लोगों की शराब

लखनऊ: उत्‍तर प्रदेश में शराबियों की शराब की लत छुड़ाने और जागरूक करने के लिए पहली बार ‘अल्कोहल यूज डिजास्टर क्लीनिक’ (Alcohol Use Disorder Clinic) खोला गया है। लखनऊ के संजय गांधी स्नातकोत्तर आयुर्विज्ञान संस्थान (SGPGI) ने इसकी शुरुआत की है।

इस क्लीनिक के जरिए शराबियों को शराब से हो रहे नुकसान की जानकारी दी जाएगी। साथ ही लिवर सिरोसीस और लिवर खराब होने के बावजूद लोग शराब का सेवन नहीं बंद कर रहे, उनकी शराब छुड़ाने में मदद की जाएगी। देश में चार प्रतिशत से अधिक भारतीय शराब पर निर्भर हैं।

SGPGI निदेशक ने किया उद्घाटन

‘अल्‍कोहल यूज डिजास्‍टर क्‍लीनिक’ का उद्घाटन SGPGI के निदेशक डॉक्‍टर आरके धीमान ने किया। इस मौके पर उन्होंने कहा कि शराब की लत का नतीजा होता है कि बहुत से लोगों के ऑर्गन्स प्रभावित होते हैं और वह अस्पतालों तक पहुंचते हैं। इस तरह की बीमारी को रोकने और जागरूक करने के लिए यह क्लीनिक खोला गया है। यूपी में यह पहला प्रयोग है, जिसके माध्यम से लोगों को जागरूक करके शराब छुड़वा सकते हैं।

UP में पहली बार खुला ‘अल्‍कोहल यूज डिजास्‍टर क्‍लीनिक’, छुड़ाई जाएगी शराब

सोशल ड्रिंकिंग के जमाने में पीने की लिमिट

डॉक्‍टर धीमान ने बताया कि शराब से लिवर और किडनी की समस्या बढ़ती जा रही है। करीब 25 फीसदी मरीज ऐसे होते हैं, जो इलाज के बाद फिर शराब पीने  लगते हैं। ऐसे लोगों को जागरूक करना बहुत जरूरी है और इस क्लीनिक के माध्यम से डॉक्टर्स जागरूक करेंगे। उन्‍होंने बताया कि शराब हर मायने में नुकसान करता है, लेकिन सोशल ड्रिंकिंग का जमाना है, इसमें व्हिस्की की सेफ लिमिट 30 एमएल है, जो हफ्ते में ले सकते हैं। शराब की यह मात्रा थोड़े समय के लिए ठीक है, लेकिन लंबे समय के लिए ठीक नहीं है।

निदेशक डॉक्‍टर आरके धीमान ने बताया कि जो बड़ी मात्रा में शराब पीते हैं, उनका लिवर छह महीने से पांच साल में खराब हो सकता है। इसका पता तब चलता है, जब बीमारी आखिरी स्टेज पर चली जाती है। शराब से हो रहे किडनी, लिवर और ब्रेन की बीमारी रोकने में यह क्लीनिक काफी कारगर साबित होगा।

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