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अकाली सांसद हरसिमरत कौर बादल ने कहा कि केंद्र सरकार पंजाब के अधिकारों पर हमला कर रही

चंडीगढ़ में कर्मचारियों पर केंद्रीय कानून लागू करने का मुद्दा मंगलवार को लोकसभा में उठा। अकाली सांसद हरसिमरत कौर बादल ने यह मुद्दा उठाया। उन्होंने कहा कि पंजाब के सदस्य को पहले 56 वर्षों के बाद भाखड़ा ब्यास प्रबंधन बोर्ड (बीबीएमबी) से हटा दिया गया था। तब से चंडीगढ़ में सरकारी कर्मचारियों को केंद्रीय नियमों के दायरे में लाया गया है। यह पंजाब के दायीं ओर केंद्र की ओर से लूट है। उन्होंने कहा कि ये फैसले देश के महासंघ के खिलाफ हैं।

हरसिमरत ने कहा कि पंजाब रिस्ट्रक्चरिंग एक्ट 1966 में बनाया गया था। उस समय चंडीगढ़ को पंजाब और हरियाणा की अस्थायी राजधानी बनाया गया था। कायदे से, चंडीगढ़ में 60% कर्मचारी पंजाब से और 40% हरियाणा से होने चाहिए। इसके अलावा चंडीगढ़ में किसी अन्य कैडर की पोस्टिंग नहीं की जा सकती है।

हरसिमरत ने कहा कि 1986 में राजीव-लोंगोवाल समझौते के तहत चंडीगढ़ को पंजाब स्थानांतरित किया जाना था। चंडीगढ़ पंजाब की राजधानी है। “सरकार ने बार-बार हमारे अधिकारों की अनदेखी की है,” उन्होंने कहा। उन्होंने कहा कि अन्य कैडरों को चंडीगढ़ भेजना समझौते के खिलाफ है। उन्होंने कहा, “चंडीगढ़ हमारा है और इसका हमारी भावनाओं से लेना-देना है।” अब हमारे कर्मचारियों को चंडीगढ़ से निकाला जा रहा है। उन्होंने चंडीगढ़ को जल्द से जल्द पंजाब लाने की मांग की।

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