उत्तराखंड : आरक्षण की मांग को लेकर राज्य आंदोलनकारियों ने निकाला मार्च
उत्तराखंड : राज्य के विभिन्न आंदोलनकारी संगठनों ने राज्य के आंदोलनकारियों और उनके परिवार के सदस्यों को सरकारी नौकरियों में आरक्षण देने की अपनी मांग को अभी तक पूरा न किये जाने के विरोध में मार्च निकाला।
आंदोलनकारियों द्वारा राजभवन की तरफ मार्च किया जा रहा था , जिसके बाद पुलिस द्वारा उन्हें रोका गया।रोके जाने के बाद आंदोलनकारी पुलिस बैरिकेडिंग के पास ही विरोध जताने के लिए बैठ गए। रोके जाने के दौरान आंदोलनकारी और पुलिस के बीच धक्कामुक्की भी हुई। इस दौरान राज्यपाल के खिलाफ नारे भी लगाए गए।
आंदोलनकारी का मानना है कि त्रिवेंद्र और तीरथ सिंह रावत द्वारा उनको अनदेखा किया गया। अब उन्हें नए मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी से काफी उमीदे है।
मंच के जिला अध्यक्ष प्रदीप कुकरेती ने बताया कि पिछले कई समय से उन्हें राज्यपाल से मिलने का समय नही दिया जा रहा हैं। साथ ही उन्होंने कहा कि ऐसा करके उनका अपमान किया जा रहा है। पिछले 21 साल के इतिहास में ऐसा कभी नही हुआ।
कांग्रेस के कई सदस्य के साथ साथ प्रदेश कांग्रेस अध्यक्ष प्रीतम सिंह ने इन आंदोलनकारी को अपना समर्थन दिया है।साथ ही उत्तराखंड क्रांति दल ने भी इनका समर्थन किया है। दोनों दलों के कुछ कार्यकर्ताओं ने राज्यभवन घेराव करने में भाग लिया।
उत्तराखंड राज्य आंदोलनकारियों ने 10 फीसद क्षैतिज आरक्षण की मांग की है। उनका कहना है है कि क्षैतिज आरक्षण का कानून बनाने की फाइल राज्यपाल दफ्तर में पिछले छह वर्षों से धूल खा रही है। इसको लेकर कोई फैसला आज तक नही लिया गया है। अगर मांगें पूरी नही की गई तो आंदोलन को और उग्र किया जाएगा।
2004 में शासन ने राज्य आंदोलनकारियों को 10 फीसद क्षैतिज आरक्षण से नौकरियां दी गई थी। मगर बाद में, हाई कोर्ट द्वारा इस पर रोक लगा दी गई थी। वर्ष 2015 में तत्कालीन सरकार ने विधेयक राजभवन भेज था, लेकिन तब से लेकर आज तक उस विधेयक पर कोई बात नही हुई है।
ये भी पढ़े :- Madhya Pradesh: LOC पर सुरक्षा का जिम्मा संभालेंगी भोपाल की सोनाली मिश्रा