493 सालों बाद रामलला ठाठ बाठ के साथ चांदी के झूले पर हुए विराजमान
हर साल रामलला को सावन शुक्ल पक्ष की पंचमी से लेकर पूर्णिमा तक झूला झुलाया जाता है, लेकिन वह झूला लकड़ी का होता था। रामजन्मभूमि तीर्थ क्षेत्र ट्रस्ट द्वारा इस बार रामलला की शान के हिसाब से चांदी का झूला तैयार किया गया है।
अयोध्या : शुक्रवार को अयोध्या में 493 सालों बाद रामलला को चांदी के झूला पर विराजमान किया गया। लम्बे समय से राम जन्मभूमि परिसर में शुक्रवार को अस्थाई गर्भ ग्रह में विराजमान रामलला को नवनिर्मित चांदी के झूले पर बैठाया गया है।
रामलला को रक्षाबंधन तक इसी चांदी के झूले पर विराजमान रख उन्हेंं झूला झुलाया जाएगा। अयोध्या में श्रीराम तीर्थक्षेत्र ट्रस्ट द्वारा भगवान राम के लिए चांदी का झूला तैयार कराया गया है। सावन शुक्ल पंचमी तिथि के अनुसार गर्भगृह में शुक्रवार को उनका झूला पड़ गया। जिस पर भगवान राम समेत चारों भाइयों को साथ में स्थापित कर झूला झुलाया जा रहा है। सावन की पूर्णिमा यानी 22 अगस्त तक भगवान राम का झूलनोत्सव चलेगा।
पहले से ही हर साल भगवान राम को सावन शुक्ल पक्ष की पंचमी से लेकर पूर्णिमा तक झूला झुलाया जाता है, लेकिन वह झूला लकड़ी का होता था। रामजन्मभूमि तीर्थ क्षेत्र ट्रस्ट द्वारा इस बार रामलला की शान के हिसाब से चांदी का झूला तैयार किया गया है।
भगवान राम के मुख्य पुजारी आचार्य सत्येंद्रदास के मुताबिक रामलला समेत चारों भाइयों को विशेष पूजन के बाद ही एक साथ झूले पर बैठाया गया। सनातन उपासना परंपरा तथा शास्त्रों के ज्ञाता जगद्गुरु रामानुजाचार्य डॉ. राघवाचार्य के मुताबिक यह रामलला के गौरव की वापसी के साथ संपूर्ण भारतीय के लिए गौरव का पल है। इससे आराध्य की प्रतिष्ठा के साथ समाज तथा देश की प्रतिष्ठा भी सुनिश्चित होगी।
लगभग 493 सालों पहले अयोध्या में भव्यता-दिव्यता का प्रतीक राम मंदिर तोड़ने के बाद ही रामलला की सेवा और पूजा कम रही थी। सुप्रीम फैसला नौ नवंबर 2019 को आने के बाद रामलला को टेंट से बाहर करने की कोशिश शुरू हो गई। अब यहां भव्य मंदिर निर्माण की प्रक्रिया के साथ रामलला के दरबार में सारे उत्सव को मनाया जाने लगा हैं। जो वैष्णव आस्था के प्रतीक है और रामजन्मभूमि शताब्दियों तक जिन उत्सवों से वंचित रही है।
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