एईएस ने कुपोषण से बच्चों को बचाने के लिए उठाया ये कदम, आंगनबाड़ी सेविका को सौंपा गया जिम्मा
मुजफ्फरनगर। बिहार के मुजफ्फरपुर के बच्चों को एईएस से बचाने के लिए कुपोषित बच्चों पर खास ध्यान दिए जाने का फैसला लिया गया है। इस काम के लिए आशा कार्यकत्री और आंगनबाड़ी सेविकाओ को जिम्मा सौंपा गया है।
इन में वे बच्चे शामिल रहेंगे जो किसी भी आंगनबाड़ी से निबंधित नहीं है, उनको आंगनबाड़ी से जोड़ा जाएगा। जब बीमार बच्चे आने लगेंगे तो उनको अस्पताल पहुंचाने में आशा सहायता करेगी। जिला वेक्टर जनित रोग पदाधिकारी डा. सतीश कुमार जानकारी देते हुए बताया कि, “अतिगंभीर कुपोषित बच्चे की पहचान समय से होती है तो वह एईएस से पीडि़त नहीं होगा। उसमें सामान्य बच्चे की तुलना में नौ से 11 गुना मृत्यु का खतरा अधिक होता है। पांच वर्ष से कम उम्र के बच्चों की होने वाली मृत्यु का 45 फीसद अतिगंभीर कुपोषण कारण होता है। इसलिए अगर समय से पहचान हो जाए तो उन बच्चों के बचाव में मदद मिलेगी।”
ऐसे तैयार करनी होगी सूची
आशा आंगनबाड़ी सेविका के साथ स्वास्थ्य मानक से कम वजन वाले नवजात की सूची तैयार करेंगी। उन्हें बेहतर इलाज के लिए स्वास्थ्य केंद्र या पोषण पुनर्वास केंद्र रेफर किया जाएगा।
इन लक्षणों वाले बच्चों की करनी है पहचान
अगर बच्चे को बीमार, सुस्त दिखाई देने वाले, स्तनपान न करने वाले या भूख की कमी, दोनों पैरों में सूजन, सांस का तेज चलना, छाती का धंसना, लगातार उल्टी व दस्त होना, मिर्गी या चमकी आना, तेज बुखार, शरीर ठंडा पडऩा, खून की कमी, त्वचा पर घाव व ऊपरी बांह की गोलाई 11.5 सेंटीमीटर से कम जैसे लक्षण बच्चे में दिखाई दें तो आशा, एएनएम की मदद से उसको रेफर करा देंगी। इसके बाद उसे सदर अस्पताल परिसर स्थित पोषण पुनर्वास सेंटर पर लाया जाएगा। यहां भर्ती होने वाले बच्चे के साथ उसकी माता की सेहत के लिए जरूरी दवा व खुराक मिलेगी।