
आज़मगढ़: उपचुनाव की हार की अखिलेश यादव ने की समीक्षा, दिये निर्देश…
अखिलेश यादव ने विधायकों को निर्देश दिये हैं कि अभी से लोकसभा चुनाव की तैयारियों में जुट जाएं
लखनऊ। आजमगढ़ लोकसभा के उपचुनाव में मिली हार के बाद अखिलेश यादव सतर्क हो गए हैं। शनिवार को उन्होंने पार्टी मुख्यालय पर विधायकों के साथ हार की समीक्षा की। इस दौरान उन्होंने पार्टी विधायकों को कई महत्वपूर्ण निर्देश दिये। गौरतलब है कि आजमगढ़ की दस विधानसभा सीटों पर समाजवादी पार्टी का कब्जा है। जबकि, अखिलेश यादव 2019 में यहां से सांसद चुने गये थे। विधायक बनने के बाद उन्होंने सांसदी छोड़ दी थी। जिसके बाद उपचुनाव में बदायूं से सांसद रह चुके धर्मेंद्र यादव को उतारा गया था। जिसमें भाजपा के दिनेश लाल यादव निरहुआ ने जीत दर्ज की थी। इस हार के बाद पार्टी की रणनीतियों को लेकर कई सवाल खड़े हुए थे। क्योंकि, आजमगढ़ को सपा का गढ़ माना जाता रहा है। इतना ही नहीं कुछ महीने ही पहले हुए विधानसभा चुनाव में आजमगढ़ में सपा ने क्लीन स्वीप किया था। ऐसे में पार्टी की हार को आगामी चुनाव के लिहाज से बड़े झटके के रूप में देखा जा रहा है।
सपा के सियासी रसूख के आगे नहीं टिक पाती है दूसरी पार्टी
आजमगढ़ में आजमगढ़ और लालगंज दो संसदीय क्षेत्र हैं। 2019 में सपा-बसपा गठबंधन ने एक-एक सीटें बांटी थीं। जिसमें से लालगंज से बसपा की संगीता आजाद तो आजमगढ़ से अखिलेश ने जीत हासिल की थी। आजमगढ़ संसदीय क्षेत्र के अंतर्गत करीब पांच विधानसभा सीटें आतीं हैं। इन सीटों पर सपा की स्थिति काफी मजबूत रही है। आजमगढ़ सदर से दुर्गा प्रसाद यादव लगातार 40 साल से सपा के टिकट पर जीत रहे हैं तो वहीं फूलपुर पवई को रमाकांत यादव का गढ़ माना जाता है। कहा जाता है कि उनकी सियासत रसूख इतनी है कि बिना अनुमति से पत्ता भी नहीं हिलता है।
हारे हुए बूथों पर काम करने के निर्देश
अखिलेश यादव ने विधायकों को निर्देश दिये हैं कि अभी से लोकसभा चुनाव की तैयारियों में जुट जाएं। उन्होंने कहा है कि हार-जीत चुनाव का हिस्सा होता है। मनोबल को गिराने की जरूरत नहीं है। पार्टी को उन बूथों पर विशेष ध्यान देने की जरूरत है, जहां पर हार मिली है या स्थिति कमजोर हुई है। अखिलेश ने कहा कि सदस्यता अभियान को तेजी से चलाया जाए और ज्यादा से ज्यादा लोगों को जोड़ा जाए। सरकार की विफलताओं को जनता के बीच लेकर जाकर उन्हें जागरूक करना होगा। साथ ही उन्होंने यह भी कहा कि सत्ताधारी दल हमेशा विपक्ष को दबाने के येन-केन प्रकारेण प्रयास करता रहता है, इससे डरने की जरुरत नहीं है। सत्ताधारियों की दमनकारी नीतियों का मजबूती से सामना करना होगा और जनता को विश्वास दिलाना होगा कि उनके मुश्किल वक्त पर समाजवादी ही आगे आते हैं। अखिलेश ने कहा है कि पार्टी को अपनी रणनीतियों में बदलाव लाना होगा। युवाओं से बात की जाए। बेरोजगारी महंगाई के मुद्दों को जनता के बीच ले जाकर उनको जोड़ा जाए।