दरबदर भटकने को मजबूर मां बता रही है पेरेंट्स डे पर हमारे समाज का दोमुंहा चेहरा
हर साल जुलाई के चौथे रविवार को पेरेंट्स डे मनाया जाता है। दुनियाभर में इस दिन को सेलिब्रेट किया जाता है। चाहिए जानते हैं इस खास दिन के बारे में।
जैसे हम फादर्स डे, मदर्स डे मनाते हैं वैसे ही पेरेंट्स डे भी मनाया जाता है। इस दिन की शुरुआत सबसे 8 मई 1973 को साउथ कोरिया में हुई थी। माना यह जाता है कि साउथ कोरोया में फादर्स डे, मदर्स डे की जगह पेरेंट्स डे मनाने की प्रथा रही है। वहीं साल 1994 में इस दिन को अमेरिका ने आधिकारिक रूप से मनाना शुरू कर दिया था। तब से जुलाई के हर चौथे हफ्ते को नेशनल पेरेंट्स डे (National Parents Day) मनाया जाने लगा।
नाम से ही साफ है कि इस दिन को मनाने का उद्देश्य क्या है, सभी बच्चे, बड़े अपने पेरेंट्स और ग्रैंड पेरेंट्स को सम्मान और खुशी देने का प्रयास करते हैं। भारतीय संस्कृति के अलावा दुनियाभर के लोग अपने माता- पिता को भगवान का दर्जा देते हैं। देश विदेश में इस दिन को बड़े ही धूमधाम से मनाया जाता है। कई लोग इस दिन पर अपने पेरेंट्स की थ्रोबैक पिक्चर शेयर करते हैं तो कोई उन्हें सरप्राइज पार्टी देकर खुश करते हैं। लेकिन यह तो केवल एक पार्ट है यानी सिक्के एक पहलू जिसे देख और सुनकर हम खुश होते हैं इंस्पायर होते हैं। लेकिन हमेशा हम दूसरे पहलू को ग्लैमर भारी दुनिया में या तो नजरअंदाज कर देते हैं या अवॉयड कर देते हैं।
वायरल हो रही 85 साल की एक बूढ़ी महिला का वीडियो तो अपने देखा ही होगा। जहां एक तरफ हम कोरोना से बचने के लिए घर पर हैं। वहीं पुणे की रहने वाली शांता बाई पेट पालने के लिए दरबदर भटक रही हैं। एक बुजुर्ग को एक चीजें उनके जीने का सहारा होती हैं एक परिवार का प्यार और दूसरा बुढ़ापे में साथ देने वाली लाठी। अगर परिवार इस उम्र में दरकिनार कर देता है तो एक बुजुर्ग की लाठी ही बचती है जो उसके जिंदगी जीने का सहारा बन जाती है।
#WATCH 85-year-old Shantabai Pawar performs 'Lathi Kathi' on streets of Pune to earn a livelihood.
She says, "I'm doing it since I was 8. My father taught me to work hard. People mostly remain indoors due to #COVID, so I clang utensil to alert them when I perform." #Maharashtra pic.twitter.com/NCI7kcbKxT
— ANI (@ANI) July 24, 2020
बूढ़ी शांताबाई ने अपने जज्बे को मरने नहीं दिया उनकी इस तरह स्टंट करते देख कई लोग हैरान हैं। बेशक बूढ़ी दादी किसी भी युवा को चुनौती दे सकती हैं। बता दें कि जब शांताबाई से उनके इस करतब के बारे में पूछा गया तो उन्होंने कहा कि यह करतब वो आठ साल की उम्र से सीख रही थीं लेकिन अंदाज नहीं था कि इस तरह काम आएगा।