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पर्यावरण मंत्रालय ने सुनाया बड़ा फैसला , इतने दिन के अंतर मांगा जनता से प्रस्ताव

पर्यावरण मंत्रालय ने भवन निर्माण पर्यावरण प्रबंधन विनियम, 2022 के तहत  एक  अहम अधिसूचना जारी की है। दिन-पर-दिन शहरीकरण बढ़ते चले जा रहे हैं, जिसके कारण न केवल प्रदूषण बढ़ रहा है बल्कि वातावर्ण को भी काफी नुकसान हो रहा है। ऐसा कहा जाता है कि एक पेड़ काटो तो उसकी जगह हमें और सौ पेड़ लगाने चाहिए लेकिन आज-कल लोग आवासीय और वाणिज्यिक निर्माण के लिए पेड़ काटते हैं मगर उसकी जगह दूसरा नहीं लगाते हैं। जिसकी वजह से बढ़ता है प्रदूषण।

 

पर्यावरण मंत्रालय का फैसला-

 

बता दें, शहरों में प्रदूषण की दर कम करने के लिए पर्यावरण मंत्रालय ने एक अहम फैसला लिया है और इस फैसले को भी जनता के हाथों में ही थमाया है। मंत्रालय ने 28 फरवरी को भवन निर्माण पर्यावरण प्रबंधन विनियम  2022 पर एक अधिसूचना जारी की है। इस अधिसूचना में उन्होंने जनता से 60 दिनों के अन्दर सुझाव और आपत्तियां की सूची मांगी है। पर्यावरण मंत्रालय की ओर से इस अधिसूचना में केवल इतना कहा गया है कि आवासीय और वाणिज्यिक निर्माण स्थलों में आप अपने भूखंड का कम से कम 10 प्रतिशत क्षेत्रों में वृक्ष लगाने और पर्यावरण को बचाने की कोशिश करें।

 

किन – किन पर लागू होंगे ये नियम-

 

जानकारी के मुताबिक, अधिसूचना में कहा गया है कि प्रत्येक 80 वर्गमीटर भूमि के लिए कम से कम एक पेड़ लगाया जाना चाहिए  ताकि पेड़ के कवर के तहत हम कम से कम 10 फीसदी भूखंड क्षेत्र सुनिश्चित और सुरक्षित हो सके। नियम में उन परियोजनाओं की भी बात कही गई है जो या तो अब बनेंगे या पहले बन चुके हैं। ये नियम उन परियोजनाओं पर लागू होंगे जिनमें नई भवन परियोजनाओं का निर्माण और 5,000 वर्ग मीटर से अधिक के निर्मित क्षेत्र वाले पुराने मौजूदा भवनों का नवीनीकरण या मरम्मत करना शामिल हो।   इसमें ये भी कहा गया है कि इमारतों, सड़कों, पक्के क्षेत्रों और बाहरी सेवाओं के लिए प्रस्तावित क्षेत्रों से ऊपरी मिट्टी को केवल 20 सेमी की अधिकतम गहराई तक ही हटाया जाना चाहिए। साथ ही पर्यावरण मंत्रालय ने ये भी बताया कि परियोजना के निर्माण कार्यों के दौरान केंद्रीय भूजल प्राधिकरण की पूर्व स्वीकृति के बिना आर्द्रभूमि और जल निकायों और भूजल पर किसी भी निर्माण की अनुमति को नहीं दिया जा सकता है।

 

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