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बॉलीवुड के दिग्गज अभिनेता प्राण साहब के जन्मदिन के मौके पर जाने उनसे जुड़ी कुछ खास बातें….

बॉलीवुड के मशहूर विलेन के लिस्ट में शुमार प्राण साहब को आखिर कौन नहीं जानता होगा। आज भले ही प्राण साहब हमारे बीच नहीं हैं लेकिन उनकी फिल्में आज भी दर्शकों को खूब पंसद आती हैं। अब आप खुद इस बाद से अंदाजा लगा सकते हैं कि एक्टर प्राण का क्रेज आज के समय में भी लोगों के अंदर बरकरार है। आज हम आपको एक्टर प्राण के बर्थडे पर उनके बारे में बताएंगे। कभी प्राण बतौर लाहौर के सुपरहिट हीरों हुआ करते थे। तो फिर उन्होंने कैसे बॉलीवुड के खतरनाक विलेन के रूप में अपनी पहचान बनाईं?

 

12 फरवरी 1920 को प्राण का जन्म दिल्ली में हुआ था। उनके पिता लाला केवल कृष्ण सिकन्द एक सरकारी ठेकेदार थे। बहुत कम लोग प्राण का पूरा नाम जानते होंगे। बता दें कि दिवंगत एक्टर प्राण का पूरा नाम प्राण कृष्ण सिकन्द था। इनका जन्म धनी पंजाबी परिवार में हुआ था। इनकी माता का नाम रामेश्वरी था जो एक गृहणी थीं। शुरू के दिनों से ही प्राण पढ़ाई में काफी होनहार थे। लेकिन पिता के तबादल के कारण उन्हें कपूरथला, उन्नाव, मेरठ, देहरादून और रामपुर में अपनी पढ़ाई पूरी करनी पड़ी।

 

कहा जाता है कि जब प्राण देहरादून में रहते थे तो उन्हें पढ़ाई को दौरान फोटोग्राफी का शौक भी चढ़ा। धीरे-धीरे यह शौक इनका करियर बन गया। बतौर फोटोग्राफर लाहौर में उन्होंने अपनी करियर की शुरूआत की।

 

एक्टर प्राण की पहली फिल्म

 

बहुत कम लोग जानते होंगे कि एक्टर प्राण ने पंजाबी फिल्म से अपने करियार की शुरूआत की। साल 1940 में उन्होंने फिल्म ‘यमला जट’ से फिल्मी दुनिया में कदम रखा। इस फिल्म के बाद कभी भी प्राण साहब पीछे मुड़ कर नहीं देखे।

 

400 फिल्मों के कर चुके हैं काम

 

हिन्दी फिल्मों में अपने विलेन रोल से दर्शकों को डराने वाले प्राण साहब ने तकरीबन 400 से अधिक फिल्म में काम किया। अपने खलनायक रोल से एक ओर प्राण ने लोगों के अंदर अपने लिए घृणा पैदा कर दिया था तो वहीं उनकी दूसरी फिल्म ‘उपकार’ के मंगल चाचा की भूमिका भी है, जिसे दर्शकों ने खूब प्यार और सम्मान दिया।

 

इन फिल्मों के लिए दिया गया अवार्ड

 

बता दें कि अपने समय के फेमस विलेन प्राण साहब को वैसे तो अनेकों अवार्डस दिए गए, लेकिन साल 1968 में उपकार, 1970 आँसू बन गये फूल और 1973 में बेईमान फ़िल्म में उन्हें बतौर सर्वश्रेष्ठ सहायक अभिनेता के लिये फ़िल्म फेयर अवार्ड दिया गया। इसके बाद मिले सम्मान और अवार्ड की संख्या सैकड़ों में है।

 

 

 

 

कुछ ऐसी जिंदगी रही प्राण साहब की

 

आपको बता दें कि साल 1945 में प्राण साहब की शादी शुक्ला सिकन्द से हुआ था। शादी के बाद ही भारत पाकिस्तान का बटवारा हो गया। जिसके बाद उन्हें अपनी पत्नी और बेटे अरविन्द, सुनील और एक बेटी पिंकी के साथ मुम्बई आना पड़ा।

 

 

 

 

उन दिनों प्राण लौहर के सुपरस्टार हुआ करते थे। मुंबई आने के बाद प्राण साहब ने शुरूआत के दिनों में सबसे महंगे होटल ताज में रहने लगे। लेकिन धीरे-धीरे उनके पैसे खत्म हो गए और एक समय ऐसा भी आया की उन्हें अपनी पत्नी की सभी जेवर भी बेचने पड़े गए। लाहौर से भारत आने के बाद प्राण को यहां एक भी फिल्म नहीं मिल रही थी। पैसे की तंगी के कारण उन्हें अपने परिवार के साथ इधर-उधर रहना पड़ा। तंग हाली के दौर ऐसा था कि लाहौर के जाने माने एक्टर प्राण को मरीन ड्राइव पर 8 महीन तक डेलमार्ग के होटल में काम करना पड़ा।

 

 

 

 

भारत पाकिस्तान के बटवारे ने प्राण के करियर को पूरी तरह से बदल कर रखा दिया था। उस दौरान फिल्मों के लिए स्टगल जारी रहा। प्राण साहब की मेहनत रंग लाई और उन्हें पहली हिन्दी फिल्म ‘खानदान’ से ब्रेक मिला।

 

 

 

इस फिल्म में उनके साथ नायिका नूरजहां थीं। इस फिल्म के बाद उन्होंने एक से बढ़कर एक फिल्म की, जैसे अमिताभ बच्चन के साथ फिल्म जंजीर, डान, अमर अकबर अन्थोनी, मजबूर, दोस्ताना, नसीब, कालिया और शराबी रही। इसके अलावा उन्होंने अभिनेता शशि कपूर के साथ फिल्में की जैसे, बिरादरी, चोरी मेरा काम, फांसी, शंकर दादा, चक्कर पे चक्कर, राहू केतु, अपना खून और मान गए उस्ताद रही। बहरहाल बता दें कि 12 जुलाई साल 2013  में प्राण साहब को दिल का दौड़ा पड़ा और उन्होंने अपनी आखिरी सांस मुम्बई के लीलावती अस्पताल में ली।

 

 

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