IndiaIndia - World

“ग्रीन बेल्ट के लिए आरक्षित भूमि पर निर्माण की इजाजत नहीं” – एनजीटी

राष्ट्रीय हरित अधिकरण ने ग्रीन बेल्ट की जमीन को लेकर अपना पक्ष साफ किया। एनजीटी ने स्पष्ट रूप से कहा कि, राज्य हो या कोई निजी मालिक ग्रीन बेल्ट के लिए आरक्षित भूमि पर किसी भी प्रकार के निर्माण की इजाजत नहीं दी जा सकती।

रिहायशी या व्यावसायिक इलाकों में बदलना संभव नहीं

एनजीटी ने साफ किया कि, ऐसे स्थानों को रिहायशी या व्यावसायिक इलाकों में नहीं बदला जा सकता है। जिसपर पीठ ने कहा कि, भूमि के कानून में उपरोक्त बात के उल्लेख और ऐसे ही विचार व्यक्त करने वाले अधिकरण के आदेश के बावजूद हमारा मानना है कि, संबंधित प्राधिकारियों का रुख बहुत ही लापरवाह और उदासीन है। हमें ईमानदार, प्रतिबद्ध इरादे का कोई तत्व नहीं मिला और साथ ही मास्टर प्लान में पार्क के लिए हरित पट्टी/आरक्षित भूमि के संरक्षण के लिए प्रभावी कदम उठाने की इच्छा नहीं दिखी।

समिति करेगी जांच

बता दें कि, एनजीटी ने पर्यावरण और वन मंत्रालय, कृषि विभाग, उत्तर प्रदेश, वन एवं पर्यावरण विभाग तथा झांसी के मंडल आयुक्त के अधिकारियों की एक समिति गठित की है। समिति दो महीनों में तथ्यात्मक रिपोर्ट भेजने और संबंधित रिकॉर्डों की जांच करने के लिए औचक निरीक्षण करेगी। इस समिति में केंद्रीय प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड (सीपीसीबी) और झांसी के मंडल आयुक्त समन्वय एवं अनुपालन के लिए नोडल एजेंसी होंगे।

क्या था मुद्दा

जस्टिस सुधीर अग्रवाल और विशेषज्ञ सदस्य की पीठ ने कहा, जल निकायों की देखरेख वैधानिक प्राधिकारों की प्राथमिक जिम्मेदारी है। दरअसल पीठ ने ये टिप्पणियां यूपी में झांसी के मास्टर प्लान 2021 में ‘हरित पट्टी/हरित पार्क’ के तौर पर घोषित लक्ष्मी ताल और नजदीकी इलाके के संरक्षण में वैधानिक प्राधिकारियों की कार्रवाई न किए जाने की शिकायत करने वाली याचिका पर सुनवाई की दौरान की है।

Follow Us
Show More

Related Articles

Leave a Reply

Your email address will not be published. Required fields are marked *

Back to top button
%d bloggers like this: