अपराध घोषित हुआ मैटेरियल रेप , संसद तय करेंगे सजा
सॉलिसिटर जनरल तुषार मेहता ने गुरुवार को मैरिटल रेप को लेकर केंद्र द्वारा दायर अतिरिक्त हलफनामे के बारे में जस्टिस राजीव शकधर और सी हरि शंकर की पीठ को अवगत कराया। केंद्र ने शुक्रवार को दिल्ली उच्च न्यायालय से कहा कि वह अगले सप्ताह सुनवाई को टालने के लिए दबाव बनाएगी, जैसा कि मैरिटल रेप के मुद्दे पर याचिकाओं के एक बैच पर अपने नवीनतम हलफनामे में मांगा गया है।
एक महिला याचिकाकर्ता की ओर से पेश हुए वरिष्ठ अधिवक्ता कॉलिन गोंजाल्विस ने मैरिटल रेप को अपराधीकरण करने के लिए अपनी दलीलों के समर्थन में यूके के कानून आयोग की एक रिपोर्ट और भारत के सर्वोच्च न्यायालय के कुछ निर्णयों का हवाला दिया। उन्होंने कहा कि अदालत इस आधार पर अपवाद की संवैधानिकता से निपटने से नहीं रोक सकती है कि महिला के लिए मैरिटल रेप साबित करना असंभव होगा, क्योंकि यह कभी-कभी घर की सीमाओं में और निजी तौर पर होता है।
उन्होंने कहा कि अगर उच्च न्यायालय आईपीसी 375 के तहत पतियों को दी गई छूट को खारिज करता है तो इसके लिए सजा का सवाल संसद के अधिकार क्षेत्र में आता है।