
लखनऊ: उत्तर प्रदेश में आगामी 2022 में होने वाले विधानसभा चुनाव से पूर्व एक बार फिर पूर्वांचल के बाहुबली नेता हरिशंकर तिवारी का दबदबा देखने को मिल सकता है। बता दें कि हरिशंकर तिवारी बुजुर्ग हो चुके हैं वसादी धोती कुर्ता सदी और सिर पर उन्हीं टोपी पहनने वाले तिवारी को देखकर कोई भी अंदाजा नहीं लगा सकता लेकिन अपने युवा में व पुलिस रिकॉर्ड में हिस्ट्रीशीटर रहे उन पर कई संगीन मामले दर्ज थे। 2012 में विधानसभा चुनाव में मिली हार के बाद उन्होंने कोई भी चुनाव नहीं लड़ा लेकिन राजनीति के असली पूर्वांचल के चाणक्य कहे जाने वाले तिवारी का आज भी गोरखपुर के चिल्लूपार में देखने को मिल सकता है।
गौरतलब है कि हरिशंकर तिवारी का गोरखपुर और उसके आसपास के क्षेत्रों में सामाजिक राजनीतिक और आपराधिक प्रभाव 70 के दशक से देखा गया है वही पिछले कुछ सालों में भी जातीय समीकरण पर अपने समुदाय को मजबूत बाहुबली नेता के रूप में उभरे। पूर्वांचल के जातीय समीकरणों में उनके सामने अन्य जातियों के नेता भी नहीं टिक पाते इनके पीछे अन्य जातियों के लोगों का उभरना और अपराधिक गतिविधियों पर नियंत्रण होना प्रमुख कारण है।
हरिशंकर तिवारी ने बताया कि उनकी राजनीतिक सफर की विरासत को उनके बेटे आगे बढ़ा रहे हैं लेकिन गोरखपुर की बदली हुई परिस्थितियों ने उन्हें स्थानीय जनता का कितना समर्थन मिलेगा या तो आगामी विधानसभा चुनाव में ही देखने को मिलेगा। गोरखपुर में ऐसी चर्चा है कि उनके बेटे बसपा छोड़ किसी दूसरे दल में जा सकते हैं इस स्थिति में उसे जोड़ने के लोगों को समर्थन भी दूसरे दल को मिल सकता है लेकिन पूरे ब्राह्मण समाज का रुझान भी यही रहेगा यह जरूरी नहीं है क्योंकि इस वर्ग को अपनी और करने में बसपा के अलावा सपा और भाजपा के भी प्रयास चल रहे हैं।