
नियम पूर्वक शुरू हुआ पितृ पक्ष,पढ़ें पूरी ख़बर
जिनके मन में नहीं श्रद्धा उनका पूजने का कोई हक़ नहीं
नियम पूर्वक शुरू हुआ पितृ पक्ष, श्राद्ध पक्ष में पूर्वजों की आत्मशांति के लिए 16 दिनों तक नियम पूर्वक कार्य करने का है विधान। साथ ही आचार्य डॉ. राज ने बताया कि भाद्रपद मास की पूर्णिमा तिथि से पितृ पक्ष का आरंभ होता है।
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इस पक्ष में अपने पितरों का स्मरण किया जाता है। वायु पुराण, मत्स्य पुराण, गरुड़ पुराण और विष्णु पुराण समेत अन्य शास्त्रों में भी श्राद्ध के महत्व के बारे में लिखा गया है। पितरों की आत्म तृप्ति से व्यक्ति पर पितृ दोष नहीं लगता है। पितृ पक्ष का प्रारंभ 20 सितंबर से हो रहा है और समापन 6 अक्टूबर को होगा।
साथ ही उत्तराखंड विद्त सभा के प्रवक्ता आचार्य बिजेंद्र प्रसाद ममगांई ने बताया कि, श्राद्ध पितृ ऋण चुकाने की प्रक्रिया है। इसके लिए पूर्वजों के प्रति कृतज्ञता का भाव जरूरी है। जिनके मन में अपने पुरखों के प्रति श्रद्धा नहीं होती वे इसके अधिकारी नहीं होते हैं।
भागीरथी और अलकनंदा नदी के संगम स्थल देवप्रयाग को संगम नगरी कहा जाता है। श्राद्ध पक्ष में देवप्रयाग में पितृकार्य और पिंडदान का विशेष महत्व है। यहां पड़ोसी देश नेपाल समेत देश के विभिन्न प्रदेशों से लोग अपने पितरों का तर्पण करने पहुंचते हैं।