इलाहाबाद हाई कोर्ट ने मदरसों को सरकारी फंड दिए जाने पर उठाया सवाल, जताई आपत्ति
प्रयागराज : इलाहाबाद हाई कोर्ट ने गाय को राष्ट्रीय पशु घोषित करने की सलाह के साथ ही मदरसों को सरकार की ओर से फंड मिलने पर भी आपत्ति जताई। हाई कोर्ट ने कहा कि क्या धार्मिक शिक्षा के लिए पंथनिरपेक्ष राज्य फंड दे सकते हैं। न्यायमूर्ति अजय भनोट ने राज्य सरकार से चार हफ्ते में प्रबंध कमेटी मदरसा अंजुमन इस्लामिया फैजुल उलूम की याचिका पर सभी सवालों का जवाब मांगा है। 6 अक्टूबर को याचिका की सुनवाई होगी।
यूपी सरकार से इलाहाबाद हाईकोर्ट ने मान्यता तथा सहायता प्राप्त धार्मिक शैक्षणिक संस्थानों को जैसे मदरसों को राज्य सरकार से सरकारी वित्त पोषण पर पूरी जानकारी मांगी है। हाईकोर्ट की पीठ ने मान्यता तथा सहायता प्राप्त मदरसों तथा दूसरे सभी धार्मिक शैक्षणिक संस्थानों के पाठ्यक्रम, शर्तें, मान्यता के मानक सभी जानकारी राज्य सरकार से उपलब्ध कराने को कहा।
विद्यार्थियों की बढ़ती संख्या को देखते हुए मदरसा बोर्ड से मान्यता प्राप्त मदरसा अंजुमन इस्लामिया फैजुल उलूम ने अध्यापकों के अतिरिक्त पदों का भर्ती को लेकर याचिका में निवेदन किया है। 19 अगस्त को अदालत ने निर्देश दिया था और इसे हाल ही में अपलोड किया था।
इलाहाबाद हाईकोर्ट ने कहा कि क्या अनुच्छेद 25 से 30 से प्राप्त मौलिक अधिकारों के अंतर्गत धार्मिकशिक्षा देने वाले मदरसे सभी धर्मों के विश्वास को भी संरक्षण दे रहे हैं। क्या मदरसे धार्मिकशिक्षा संदेश और पूजा पद्धति की शिक्षा संविधान के अनुच्छेद 28 में दी जा सकती हैं। अनुच्छेद 21 और 21ए की अनिवार्यता का स्कूलों में खेल मैदान रखने के पालन किया जा रहा है।
सरकार धार्मिक शिक्षा संस्थानों को धार्मिक अल्पसंख्यकों को फंड दे रही है। क्या मदरसों में महिलाओं को प्रवेश पर रोक है। अगर ऐसा है तो क्या यह भेद नहीं है। इलाहाबाद हाईकोर्ट ने चार सप्ताह में राज्य सरकार से जवाब मांगा है कि क्या प्रदेश में कोई शिक्षा बोर्ड धार्मिक शिक्षा देने वाले सभी धर्मों के लिए है।
राज्य मदरसा बोर्ड से मदरसा अंजुमन इस्लामिया फैजुल उलूम मान्यता प्राप्त है तथा इसे राजकीय सहायता भी प्राप्त है। राज्य सरकार से कोर्ट ने पूछा कि मदरसों के पाठ्यक्रम, शर्तें, मान्यता के मानक, खेल के मैदानों का पालन हो रहा है।