Uttar Pradesh

सीएम योगी नोएडा के एमराल्ड प्रोजेक्ट निर्माण में अनियमितता पर गंभीर, दोषी अफसरों पर होगी करवाई

बुधवार को सीएम योगी ने अधिकारियों के साथ हुई उच्‍च स्‍तरीय समीक्षा बैठक में कहा कि लगातार 2004 से नोएडा में सुपरटेक के एमराल्ड कोर्ट प्रोजेक्ट में गड़बड़ी चल रही हैं। सीएम ने निर्देश दिया कि विशेष जांच समिति शासन स्तर से गठित कर इस मामले की जांच कराई जाए।

लखनऊ : सुप्रीम कोर्ट ने नोएडा में सुपरटेक के एमराल्ड कोर्ट प्रोजेक्ट के 40 मंजिला दो टावरों को नियमों को तोड़ बनाने के चलते गिराने का निर्देश दिए गए है। इसके निर्माण में सीएम योगी ने अनियमितता पर गंभीरता दिखाई है। आरोपित अधिकारियों के खिलाफ उन्होंने सख्त कार्रवाई के निर्देश दिए हैं। अधिकारियों को उन्होंने निर्देश दिया है कि सुप्रीम कोर्ट के आदेशों का इस मामले में अनुपालन सुनिश्चित कराया जाए।

बुधवार को सीएम योगी ने अधिकारियों के साथ हुई उच्‍च स्‍तरीय समीक्षा बैठक में कहा कि लगातार 2004 से नोएडा में सुपरटेक के एमराल्ड कोर्ट प्रोजेक्ट में गड़बड़ी चल रही हैं। सीएम ने निर्देश दिया कि विशेष जांच समिति शासन स्तर से गठित कर इस मामले की जांच कराई जाए। प्रत्येक दोषी अधिकारी के विरुद्ध कार्रवाई की जाएगी। सीएम ने कहा कि आपराधिक केस भी आवश्यकतानुसार दर्ज किया जाए। तत्काल जांच शुरू की जाए।

नियमों का उल्लंघन कर नोएडा में सुपरटेक के एमराल्ड कोर्ट प्रोजेक्ट के 40 मंजिला दो टावरों को निर्माण के कारण गिराने वाले सुप्रीम कोर्ट के निर्णय से घर के खरीदारों को राहत मिली है। मंगलवार को कोर्ट ने एक आदेश में कहा है कि 12% ब्याज के साथ घर खरीदारों का पूरा पैसा लौटाया जाए। दो महीने में यह काम पूरा हो। दोनों टावरों के निर्माण से रेजिडेंट्स वेलफेयर एसोसिएशन को हुई दिक्कतों के लिए दो करोड़ रुपये दिए जाएं।

सुप्रीम कोर्ट ने अपने निर्णय में कहा है कि 11 अप्रैल 2014 के फैसले में इलाहाबाद हाई कोर्ट के किसी हस्तक्षेप की आवश्यकता नहीं है। अपने फैसले में हाई कोर्ट ने नोएडा के सेक्टर 93 ए की दोनों इमारतों, टावर एपेक्स तथा टावर सियेन को गिराने के भी निर्देश दिए थे।

कोर्ट ने कहा कि नोएडा प्राधिकरण के साथ साठगांठ कर सुपरटेक के 915 फ्लैट तथा दुकानों वाले 40 मंजिला दो टावरों का निर्माण किया गया है। हाई कोर्ट का इस बारे में विचार सही था। अदालत ने कहा कि यूपी अपार्टमेंट एक्ट-2010 का पालन कराने का इस मामले में नोएडा प्राधिकरण ने कोई प्रयास नहीं किया।

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