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अजब-गजब : 41 साल के इंतज़ार के बाद आखिरकार मिला न्याय

उत्तराखंड : जल संस्थान के एक पूर्व कर्मचारी को उत्तराखंड हाईकोर्ट से 41 साल बाद न्याय मिला है। उच्च न्यायालय ने आदेश दिया है कि जल संस्थान द्वारा 1980 में सेवा समाप्त करने वाले कान सिंह राणा के सभी बकाया, पेंशन और अन्य सेवानिवृत्ति लाभों का भुगतान विभाग द्वारा किया जाना चाहिए।

न्यायमूर्ति मनोज कुमार तिवारी की उच्च न्यायालय की एकल पीठ ने भी जल संस्थान की याचिका में सबूतों की कमी पायी और इसे खारिज कर दिया।

मामले के विवरण के अनुसार, देहरादून निवासी राणा ने 1980 में देहरादून की श्रम अदालत में याचिका  दायर की थी। उन्होंने कहा था कि जल संस्थान द्वारा उनकी सेवा को बिना कोई नोटिस जारी किए या इसका कारण बताए बिना समाप्त कर दिया गया है।

श्रम न्यायालय ने उनके पक्ष में फैसला सुनाया लेकिन विभाग उच्च न्यायालय में चुनौती दी। विभाग ने कहा कि श्रम न्यायालय में इसकी सुनवाई नहीं हुई और निर्णय एकतरफा था।

एचसी ने पहले विभाग को श्रम अदालत में अपनी आपत्ति प्रस्तुत करने का निर्देश दिया था जहां इसे खारिज कर दिया गया था। विभाग ने कहा था कि कार्यकर्ता ने 240 दिनों से कार्यालय में काम नहीं किया था जिसके कारण उसे निकाल दिया गया था।

विभाग ने इस फैसले को फिर से हाई कोर्ट में चुनौती दी, जिस पर सुनवाई करते हुए कोर्ट ने उत्तर प्रदेश औद्योगिक विवाद अधिनियम और सुप्रीम कोर्ट के फैसलों का हवाला देते हुए।  विभाग को राणा का बकाया चुकाने का निर्देश दिया। राणा इस समय लगभग 78 वर्ष के हैं। अब जा कर उन्हें न्याय मिल पाया हैं।

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