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क्या आप कभी गए हैं कानपुर के भीतरगांव मंदिर ? यहां जानें ये मंदिर आखिर क्यों है इतना विशेष ?

उत्तर प्रदेश के कानपुर जिले में स्थित, भीतर गाँव। भीतर गाँव में गुप्तकालीन एक मंदिर के अवशेष भी पाए गए है जो गुप्तकालीन वास्तुकला के खूबसूरत नमूनों में से एक है। यह मंदिर ईटों से बना हुआ है।

सुरक्षित और अच्छे साँचे में ढली ईटों की वजह से बहुत प्रसिद्ध है। इस मन्दिर की हर एक ईट सुंदर और आर्कषक आलेखनों से ढली थी। इसके दो फुट लंबे चौड़े खानें बहुत सी जीवित और सुंदर उभरी हुई मूर्तियों से भरे थे।

भीतरगांव मंदिर की बाहरी दीवारों में हिन्दू देवी-देवताओं जैसे – गणेश, आदिवराह, दुर्गा, नदी देवता मूर्तियाँ बनाई गई हैं । इसके साथ ही साथ दीवारों को रामायण, महाभारत और पुराणों के अनेक कहानियों से सजाया गया है।

पूरी रचना भव्य और आकर्षक बनाई गई है। भीतरगाँव का मंदिर भारत में मिलने वाले डाट-पत्थर मेहराब का सबसे पुराना उदाहरण होने के साथ-साथ, ईंटों से बने भवन का भी सबसे प्राचीन उदाहरण दर्शाता है।

भीतरगांव पांचवी सदी का एक ईटों से बना मंदिर है, जो प्राचीन कला कृतियों के साथ ही अपने अन्दर कई रहस्य भी छिपाए हुए है। शाम होते ही मंदिर परिसर में इंसान तो क्या परिंदा भी पर नहीं मार सकता।

गांव वालों का कहना है कि, मंदिर में खजाना छिपा हुआ है और उस खजाने देखभाल आत्माएं करती हैं। सूर्य ढलने के बाद जिसने भी इस मंदिर पर कदम रखा वो जिन्दा वापस नहीं गया। 103 साल से इसकी वजह से मंदिर में 7 बजते ही ताला लगा दिया जाता है।

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