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मंत्री हरक सिंह रावत के घोषणा पर भड़का I.MA, आदेश को बताया असंवैधानिक

देहरादून। अभी पिछले माह बाबा रामदेव और आईएमए का विवाद थमा ही था की सोमवार को उत्तराखंड के आयुष व वन मंत्री हरक सिंह रावत के एक घोषणा ने इस मामले को फिर से तूल दे दिया। बता दें की कल योग महोत्सव के कार्यक्रम में मुख्यमंत्री तीर्थ सिंह रावत के मौजूदगी और निर्देशानुसार आयुष व वन मंत्री हरक सिंह रावत ने घोषणा की थी कि दूरस्थ क्षेत्रों में सरकारी केंद्रों पर आयुष डॉक्टर्स इमरजेंसी में एलोपैथी मेडिसिन लिख सकते हैं।

मंत्री हरक के इस घोषणा पर इंडियन मेडिकल एसोसिएशन (I.M.A) ने ख़ासा आक्रोश जताया और इस आदेश को असंवैधानिक बताते हुए खारिज कर दिया। वहीँ आईएमए उत्तराखंड सचिव डॉ खन्ना ने मीडिया से वार्तालाप करते हुए बताया कि नेशनल मेडिकल कमीशन 2019 की धारा 34 के अनुसार एलोपैथी मेडिसिन सिर्फ वही लिख सकता है जो मेडिकल कौंसिल में रजिस्टर्ड प्रैक्टिशनर हो और आयुष डॉक्टर्स हमारे कॉउन्सिल में रजिस्टर्ड नहीं होते इसलिए एलोपैथी मेडिसिन नहीं लिख सकते।

इसी के साथ अपनी बात को आगे बढ़ाते हुए डॉ खन्ना ने बताया कि कुछ दिन पहले हमारे द्वारा मुख्य सचिव उत्तराखंड को पहले ही एक चिट्ठी लिख कर सुप्रीम कोर्ट के आदेशों की जानकारी दे दी गयी थी, हमें अन्देशा था कि सरकार इस तरह के आदेश जारी कर सकती है। इस तरह का आदेश सुप्रीम कोर्ट के आदेशों की अवमानना है और यह कंटेम्प्ट ऑफ कोर्ट में आएगा।

आपको बता दें की 2022 का विधानसभा चुनाव अब नज़दीक है ऐसे में सरकार के द्वारा उठाये गए ज्यादातर कदम विवादित प्रतीत हो रहें हैं। अब यह देखना मजेदार होगा कि आईएमए डॉक्टर्स क्या सरकार के इस आदेश को निरस्त करवा पाएंगे या फिर सरकार अपने आदेश पर अडिग रहेगी।

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