Government Policies

प्रधानमंत्री खनिज क्षेत्र कल्याण योजना

भारत देश में सर्वप्रथम कृषि क्षेत्र में सबसे ज्यादा लोग कार्य करते हैं। इसके बाद दूसरे नंबर पर लोग खनन के क्षेत्र में काम करते हैं। खनन हम लोगों के जीवन से सीधे तौर पर जुड़ा हुआ है क्योंकि इससे हम लोगों को वह प्राकृतिक संसाधन मिलते हैं जिनसे हमारा जीवन यापन होता है। हम लोगों के जीवन में ज्यादातर चीजें खनन से ही आती हैं।

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Mineral Sector Welfare Scheme

खनन के क्षेत्र में जो लोग काम करते हैं उनका काम भी आसान नहीं होता है। इस काम में बहुत ज्यादा खतरा भी होता है खास तौर पर लोगों के स्वास्थ्य को। भारत में कई जगहों पर गैर जिम्मेदाराना तरीके से खनन उद्योग चल रहा है जिसके वजह से पर्यावरण के साथ-साथ लोगों के स्वास्थ्य को भी नुकसान पहुंच रहा है। खनन क्षेत्र में काम करने की वजह से रोजाना कई लोगों की मौत भी हो जाती है इसी वजह से भारत की सरकार लोगों के स्वास्थ्य को ध्यान में रखकर खनन क्षेत्र में काम करने वाले लोगों के लिए एक नई बड़ी योजना लेकर आई है। इस योजना का नाम प्रधानमंत्री खनिज क्षेत्र कल्याण योजना (Pradhanmantri Khanij Kshetra Kalyan Yojana) है । आज उस लेख में हम आपको इसी योजना के बारे में बताने जा रहे हैं।

क्या है योजना?

जो लोग खदानों के पास रहते हैं उनको कई स्वास्थ्य संबंधी बीमारियों का सामना करना पड़ता है।
ऐसा पहली बार हुआ है जब सरकार ने खनन से प्रभावित होने वाले लोगों के विकास के लिए कोई योजना शुरू की है। प्रधानमंत्री खनिज क्षेत्र कल्याण योजना के द्वारा भारत सरकार का मुख्य उद्देश्य है कि खदानों के आस पास रहने वाले लोगों और कामगारों के जीवन में सुधार आए और वे सुरक्षित रहें। यह बात हर कोई जानता है कि खनन यानी कि माइनिंग के समय लोगों को कितनी बीमारियां हो जाती हैं क्योंकि वहां पर मौजूद निकलने वाली गैस और प्रदूषण के कारण सीधा लोगों के फेफड़ों में जाते हैं।

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प्रभावित होने वाले लोगों के भविष्य को लेकर आज तक कभी चिंता नहीं दिखाई गई। देश के विकास के लिए खनन जरूरी है और ऐसे में वहां के लोगों के स्वास्थ्य का ध्यान रखना और काम न करने वालो को वहां से हटाना भी जरूरी है। उन लोगों के जीवन पर भी प्रभाव पड़ता है जो खनन के क्षेत्र में काम कर रहे हैं। इन लोगों का भविष्य भी सुरक्षित नहीं होता है क्योंकि इनको काम से निकाले जाने का डर तो होता ही है बल्कि खनन कार्य के दौरान जान का जोखिम और बीमारी का खतरा भी मंडरता रहता है।

इस तरह की योजना जिसमे खदानों के आस-पास रहने वाले लोगो जिनका जीवन किसी न किसी खनन के कार्य से प्रभावित होता आ रहा हैं के लिए, पहली बार सरकार के द्वारा लाई गई है। जिन लोगो के क्षेत्र के कारण देश का विकास हो रहा हैं उन्ही का विकास कहीं न कहीं रुक गया हैं। मोदी जी के जन्मदिवस के दिन प्रधानमंत्री खनिज क्षेत्र के कल्याण योजना (Pradhanmantri Khanij Kshetra Kalyan Yojana) के रूप में की गई ।

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इस योजना की शुरुआत 17 सितम्बर 2015 को हुई थी जिसके तहत देश के सभी डिस्ट्रिक्ट में खान और खनिज का विकास किया जाएगा। योजना के माध्यम से स्वच्छ जन की आपूर्ति, स्वछता, शिक्षा, कौशल विकास, महिला और बाल विकास जैसी योजनाओं पर ध्यान दिया जाएगा।

क्या है योजना की आवश्यकता?

भारत देश में खनन क्षेत्र में काम करने वाले लोगों के स्वास्थ्य को लेकर पहली बार योजना की शुरुआत की गई। साल 2012 में मानवाधिकार संगठन ह्यूमन राइट्स वॉच ने एक रिपोर्ट में कहा है कि भारत के खनन उद्योगों में मानवाधिकारों और पर्यावरण संबंधी सुरक्षा-मानकों को लागू करने में भारत सरकार विफल रही है। यही वजह रही है कि लोगों को काफी खतरों का सामना करना पड़ा है।सत्तर पन्नों की इस रिपोर्ट में कहा गया है कि खनन संबंधी प्रमुख नीतियां सही तरीके से नहीं बनाई गईं हैं और उन्हें प्रभावी ढंग से लागू भी नहीं किया गया है जिसकी वजह से लोगों के स्वास्थ्य पर बहुत बुरा असर पड़ रहा है।

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खदानों के आसपास के लोगों और उसमें काम करने वाले श्रमिकों को कई तरह बीमारियों का सामना करना पड़ता है, जिनमें प्रमुख है फेफड़ा काला होने की बीमारी ।लोगों की समय से पहले मृत्यु दर 80,000 से 1,15,000 प्रति वर्ष होती है। इससे यह साफ होता है कि खनन की वजह से और खदानों में काम करने वाले लोगों की बीमारियों से कितनी ज्यादा मौतें होती हैं।

योजना के उद्देश्य

इस योजना के कुछ मुख्य उद्देश्य इस प्रकार हैं:

1.खनन प्रभावित क्षेत्रों में विभिन्न विकासात्मक और कल्याणकारी कार्यक्रमों का कार्यान्व्यन करना। ये सभी राज्य एवं केंद्र सरकार के मौजूदा योजनाओं/ परियोजनाओं के अनुरूप होनी चाहिए।

2.पर्यावरण, स्वास्थ्य एवं खनन मिलों में लोगों की सामाजिक, आर्थिक स्थिति पर पड़ने वाले दुष्प्रभावों को रोकना।

3.खनन क्षेत्र के प्रभावित लोगों के लिए दीर्घकालीन टिकाऊ, आजीविका सुनिश्चित करना ताकि उन्हें बेरोजगारी का सामना न करना पड़े।

क्या हैं योजना की विशेषताएं?

भारत सरकार द्वारा शुरू की गई इस योजना के कुछ मुख्य विशेषताएं इस प्रकार हैं:

1.प्रधानमंत्री खनिज क्षेत्र कल्याण योजना (Pradhanmantri Khanij Kshetra Kalyan Yojana) के लिए सरकार ने खनन का पट्टा लेने वालों को नोटिस भी जारी किया है।

  1. जिन पट्टाधारक को 12 जनवरी 2015 से पहले खनन के लिए पट्टा दिया जा चुका है, वे फंड को प्रदान की जाने वाली रॉयल्टी से अतिरिक्त भुगतान करेंगे जो कि 30 परसेंट से ज्यादा होगा।

3.इसके बाद पट्टा मिलने वालों को रॉयल्टी का 10 प्रतिशत अधिक भुगतान करना होगा जो फंड में जाएगी। इसी फंड की मदद से सरकार योजना का क्रियान्वयन करेगी।

4.प्रधानमंत्री खनिज क्षेत्र कल्याण योजना के तहत 6000 करोड़ रुपये जुटाए जाएंगे।

  1. खनन पट्टों, रवन्ने से होने वाली आय का भी एक हिस्सा खनन प्रभावित इलाकों के विकास व वहां रहने वाले लोगों के कल्याण पर खर्च किया जाएगा।
  2. जिलास्तर पर एकत्र होने वाले फंड को विकास कार्यों पर किस तरह खर्च किया जा रहा है, इसकी निगरानी राज्य व केंद्र सरकार के अधिकारियों द्वारा की जाएगी।
  3. योजना के तहत एकत्र होने वाले फंड का एक हिस्सा कृषि क्षेत्र पर खर्च होगा।

8.इसमें भूमि सुधार के साथ ही सिंचाई के बंदोबस्त किए जाएंगे और साथ ही नहर व कैनाल का निर्माण करवाया जाएगा।

9.प्रधानमंत्री खनिज क्षेत्र कल्याण योजना (Pradhanmantri Khanij Kshetra Kalyan Yojana) के तहत खनन वाले इलाकों में जलमार्ग परियोजनाओं का विकास किया जाएगा ताकि सड़क मार्ग पर दबाव कम किया जा सके। इसका मतलब ये है की इससे खनिज पदार्थों को सड़क की जगह जलमार्ग से भेजा जाएगा जिससे प्रदूषण में तो कमी आएगी ही, साथ ही ईधन की भी भारी बचत होगी।

  1. पुलों व सड़कों के निर्माण के साथ रेल की नई लाइनें बिछाई जाएंगी। इसका सीधा फायदा वहां रहने वाले लोगों को होगा क्योंकि जब रेल मार्ग बनेगा तो वहां तक यात्री ट्रेनों का भी संचालन होगा।

किसको होगा लाभ?

इस योजना का लाभ मुख्य द्वार पर उन लोगों को होगा जो कि खनन के क्षेत्र में काम करते हैं या फिर उस क्षेत्र के आसपास रहते हैं।
प्रत्यक्ष रूप से प्रभावित क्षेत्र : जहां उत्खनन, खनन, विस्फोटन, लाभकारी एवं अपशिष्ट निपटान आदि जैसे प्रत्यक्ष खनन संबंधित संचालन स्थित हैं वहां पर इस योजना से लाभ मिलेगा। खनन की वजह से जल, मृदा एवं वायु गुणवत्ता में ह्रास हो सकता है, झरनों के प्रवाह में कमी आ सकती है और भू-जल कम हो सकता है। इस योजना की मदद से पर्यावरण को भी लाभ पहुंचेगा।

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