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हरभजन सिंह कैसे बने भज्जी, जानें उनका क्रिकेट करियर 

हरभजन सिंह प्लाहा  भारत के अन्तरराष्ट्रीय क्रिकेट खिलाडी हैं। वे इंडियन प्रिमियर लीग के मुम्बई इंडियन्स टीम तथा पंजाब राज्य क्रिकेट टीम (2012-13) के भूतपूर्व कप्तान भी हैं। वे स्पिन गेंदबाजी में निपुण हैं और टेस्ट मैचों में ऑफ-स्पिनर द्वारा सर्वाधिक विकेट लेने वाले दूसरे स्पिनर हैं।

हरभजन को उनके पहले कोच चरनजीत सिंह भुल्लर ने एक बल्लेबाज के तौर पर प्रशिक्षित किया, लेकिन उनके कोच की मौत के बाद उन्हें स्पिन गेंदबाजी में बदल दिया गया क्योंकि उन्हें दवेन्द्र अरोड़ा अरोड़ा हर रोज़ की कामकाजी नैतिकता की सफलता का श्रेय करता है जिसमें सुबह में तीन घंटे का प्रशिक्षण सत्र शामिल था, इसके बाद दोपहर का सत्र 3 बजे से लेकर सूर्यास्त तक तक चले।

2000 में अपने पिता की मृत्यु के बाद, हरभजन परिवार का सिर बन गया, और 2001 तक उनकी तीन बहनों के लिए विवाह का आयोजन किया। 2002 में उन्होंने कम से कम 2008 तक अपनी शादी को ठुकरा दिया था। 2005 में उन्होंने फिर से शादी की अफवाहों को फेरबदल कर बैंगलोर की एक दुल्हन से जोड़ा, जिसमें कहा गया था कि वह “कुछ वर्षों के बाद” केवल निर्णय लेगा, और वह अपने परिवार द्वारा चुनी गई एक पंजाबी दुल्हन की तलाश करें। ऐसे देश में जहां क्रिकेटरों को मूर्तियां दी जाती हैं, हरभजन का प्रदर्शन उन्हें सरकार के प्रशंसा और आकर्षक प्रायोजकों को लेकर आया है। 2001 में ऑस्ट्रेलिया के खिलाफ उनके प्रदर्शन के बाद, पंजाब सरकार ने उसे रुपये का भुगतान किया। 5 लाख रूपये, एक भूखंड, और पंजाब पुलिस में एक पुलिस अधीक्षक बनने की पेशकश, जिसे उन्होंने स्वीकार किया।

कंकाबुलरी के साथ काम करने के बावजूद हरभजन ने मार्च 2002 में गुवाहाटी में टीम होटल के बाहर पुलिस के साथ विवाद में मामूली चोट लगी थी। जब हरभजन ने होटल में एक फोटोग्राफर को अनुमति देने से इंकार कर दिया, तो स्कफल टूट गई। हरभजन ने अपनी गेंदबाजी में कटौती की और पुलिस ने जब उसे मारा, तो उसकी कोहनी को घायल कर दिया।

इंडियन क्रिकेट टीम  में हरभजन सिंह को भज्जी के नाम से जाना जाता है! हरभजन सिंह का नाम बहुत पापुलर है! हरभजन सिंह के क्रिकेट career में बहुत से विवाद हुए है! हरभजन सिंह के क्रिकेट career में सबसे ज्यादा विवाद तब हुआ था जब हरभजन सिंह ने Andrew Simond को “Monkey” कह दिया था! इस विवाद के कारण हरभजन सिंह के ऊपर कई मैच का प्रतिबन्ध लग गया था! हरभजन सिंह और  Andrew Simond के बीच का ये विवाद बहुत काफी time तक चर्चा में रहा! हरभजन सिंह ने अभी तक क्रिकेट से संन्याश नहीं लिए है! और आज भी हरभजन सिंह क्रिकेट मैच खेलते है! हरभजन सिंह का क्रिकेट career बहुत ही successful रहा है

हरभजन सिंह ने अपनी शुरुआती शिक्षा “जय हिंद मॉडल स्कूल” से पूरी की. महज 12 साल होने के बाद उनके पिताजी ने उन्हें क्रिकेट एकेडमी ज्वाइन करवा दी.एकेडमी शहर से दूर होने के कारण हरभजन सिंह अपने घर से दूर रहने लगे.

पर घर से दूर होने के कारण उनका दिल वहां नहीं लग रहा था.तब उन्होंने एकेडमी छोड़ कर घर वापस जाने की ठान ली.और अपना सामान लेकर घर के लिए निकल पड़े वह ओटो का इंतजार कर ह़ी रहे थे.

तभी उनके कोच ने उन्हें देखा और उन को सलाह दी कि वह कुछ दिन रुक जाए.और उनके पिताजी के सपने के बारे में सोचें.यह बात हरभजन को काफी छू गई और उन्होंने ठान लिया.कितनी भी मुश्किलें आए हर हाल में अपने पिताजी का सपना पूरा करूंगा. और इसी जुनून के साथ क्रिकेट पर ध्यान केंद्रित करने लगे.

वहां उनके कोच चरणजीत सिंह भुल्लर थे.जो हरभजन सिंह को एक बल्लेबाज के रूप में प्रशिक्षण दे रहे थे.इसीलिए हमने बहुत बार उन्हें एक परिपक्व को बल्लेबाज के रूप में भी देखा है.

पर उनकी जिंदगी ने बदलाव आया जब उनके कोच चरणजीत सिंह भुल्लर के निधन के बाद उनके नए कोच देवेंद्र अरोड़ा ने उन्हें ऑफस्पिनर बनने के लिए प्रोत्साहित किया.

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जिस तरह वह अपनी गेंदबाज़ी पर मेहनत करते थे.वह देखकर उनके कोच देवेंद्र को भी उत्साह बढ़ता था.और वह कहते हैं कि शायद ही कोई बच्चा इतनी मेहनत से अपने खेल के लिए करता है.कोच और हरभजन सिंह की मेहनत रंग लाई. और कुछ ह़ी दिनों के बाद उन्हें इंडियन अंडर-19 की तरफ से खेलने का मौका मिला वहां.

वहा भी उन्होंने अच्छा प्रदर्शन किया.और अपने पहिले ह़ी मैच सटीक गेंदबाजी करते हुये.अपने 7 ओवर में केवल 19 रन देकर 1 विकेट निकाली.और हरभजन सिंह लगातार आने वाले हर मैच में बेहतरीन प्रदर्शन करने लगे.

फिर उन्हें पंजाब की तरफ़ से फ़र्स्ट क्लास क्रिकेट खेलने का भी मौका मिला.अपने पहिले ही फ़र्स्ट क्लास मैच में हरभजन ने 35 रन देकर 3 विकेट निकाले. और अपने शानदार प्रदर्शन से सबको प्रभावित किया.

अगले सप्ताह में हरभजन सिंह को फिर अंडर-19 की तरफ से खेलने के लिए बुलाया गया. वहा उन्होंने ज़ोरदार प्रदर्शन किया और पहले मैच में 75 रन देकर 5 विकेट और दूसरे मैच में 44 रन देकर 7 विकेट निकाले.

और इस तरह उन्होंने अंडर-19 और पंजाब टीम की तरफ से अपनी जगह पक्की कर ली. और अगले साल भर भी उनका यही बेहतरीन प्रदर्शन जारी रहा.और इसी बेहतरीन प्रदर्शन को का तोहफ़ा उन्हें जल्दी मिला.25 मार्च 1998 में उन्होंने भारतीय टीम से खेलने के लिए बुलावा आ गया.

हरभजन टेस्ट क्रिकेट में भारत के सबसे सफल स्पिनरों में दूसरे नंबर पर हैं. उन्होंने कुंबले के बाद सबसे ज्यादा 417 विकेट लिए हैं. उनके बाद नंबर आता है ऑफ स्पिनर रविचंद्रन अश्विन का. अश्विन ने अभी तक 342 विकेट झटके हैं. 

साथ ही भज्जी टेस्ट में सबसे कम उम्र के 400 विकेट लेने वाले भारतीय हैं. उन्होंने महज 31 साल की उम्र में 400 विकेट ले लिए थे. वर्ल्ड क्रिकेट में सबसे कम उम्र में 400 विकेट झटकाने वाले खिलाड़ियों में नंबर एक पर श्रीलंकाई मुथैया मुरलीधरन हैं, जिन्होंने 29 साल 273 दिन में 400 विकेट लिए. 

भज्जी ने ऑस्ट्रेलिया के खिलाफ मार्च 2001 में खेले गए दूसरे टेस्ट में पहली टेस्ट हैट्रिक ली थी. इनके बाद 2006 में इरफान पठान ने पाकिस्तान के खिलाफ 2006 में खेले गए मैच में हैट्रिक ली थी और ऐसा करने वाले दूसरे भारतीय बने.

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