PM बोले- विपक्ष मणिपुर पर चर्चा नहीं चाहता था, अविश्वास प्रस्ताव लाए, फिर वोटिंग से भाग गए
प्रधानमंत्री ने वीडियो कॉन्फ्रेंसिंग के जरिए हावड़ा में भाजपा पंचायती राज परिषद कार्यक्रम को किया संबोधित
नई दिल्ली: प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने शनिवार को पश्चिम बंगाल के हावड़ा में हो रहे भारतीय जनता पार्टी के पंचायती राज परिषद कार्यक्रम को वीडियो कॉन्फ्रेंस के जरिए संबोधित किया। इस दौरान उन्होंने मणिपुर और बंगाल हिंसा पर विपक्ष के रवैये और अपने नौ साल के कार्यकाल पर भी बात की।
प्रधानमंत्री मोदी ने कहा कि मणिपुर हिंसा पर हम संसद में शुरू से चर्चा करने के पक्ष में थे। विपक्ष के लोग सिर्फ सियासत करना चाहते थे। वे अविश्वास प्रस्ताव लाए, फिर मतदान से भाग गए। मणिपुर के साथ विपक्ष ने धोखा किया। उन्होंने संसद सत्र के दौरान विपक्ष के रवैये पर कहा कि विपक्ष वाले अविश्वास प्रस्ताव पर सिर्फ अरोप लगा रहे थे, कुछ बात वे बिना लॉजिक कर रहे थे। विपक्ष मणिपुर पर बात नहीं करना चाहता है। मणिपुर पर बात नहीं हो सकती, इसलिए विपक्ष वाले बिना तर्क के कुछ भी बात कर रहे थे।
देश में नकारात्मकता फैलाने वालों को संसद में दिया करारा जवाब
पीएम मोदी ने कहा कि हमने संसद में विपक्ष के अविश्वास प्रस्ताव को हराया और पूरे देश में नकारात्मकता फैलाने वालों को करारा जवाब दिया। विपक्ष के सदस्य संसद बीच में ही छोड़कर चले गए। सच तो यह है कि वे अविश्वास प्रस्ताव पर मतदान से डर गए थे। भाजपा वाले बिना घमंड के काम करते हैं और लोगों का दिल जीत रहे हैं।
प्रधानमंत्री के भाषण की तीन बड़ी बातें
हम पिछले 50 सालों से ‘गरीबी हटाओ’ का नारा सुन रहे हैं, लेकिन वे गरीबी नहीं हटा पाए। जो काम वे पांच दशकों में नहीं कर सके, वो बीजेपी सरकार ने इतने कम समय में करके दिखाया। हम लोग गरीबी को जीकर आए हैं। हमें पता है कि गरीबी की समस्याओं की जड़ कहां हैं, इसलिए हम जड़ों से गरीबी को काट पा रहे हैं।
हमने 18 हजार गांवों में बिजली पहुंचाई है। इनमें से 13 हजार गांव नॉर्थ-ईस्ट के थे। जो लोग आज मणिपुर-मणिपुर कर रहे हैं कि उनको कभी यह ख्याल नहीं आया कि पूर्वी भारत में 13 हजार गांव अंधेरे में थे।
हमने जलजीवन मिशन की शुरुआत की थी। तब देश के 20 फीसदी से भी कम ग्रामीणों परिवारों तक नल से जल की सुविधा थी। आज 60 फीसदी से भी अधिक ग्रामीण परिवारों को नल से पानी मिल रहा है। मिजोरम में चार साल पहले तक केवल छह फीसदी घरों में पाइप से पानी पहुंचता था। आज यह आंकड़ा 90 फीसदी से ज्यादा है।