मुख्यमंत्री कृषक छात्रवृत्ति का दायरा बढ़ा, अब चार यूनिवर्सिटी और 37 कॉलेज के छात्रों को भी मिलेगा लाभ
राज्य कृषि उत्पादन मंडी परिषद के संचालक मंडल की 168वीं बैठक में मुख्यमंत्री ने दिए दिशा-निर्देश
लखनऊ: उत्तर प्रदेश के मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ की अध्यक्षता में सोमवार को राज्य कृषि उत्पादन मंडी परिषद के संचालक मंडल की 168वीं बैठक संपन्न हुई। इस बैठक में मुख्यमंत्री ने किसानों का हित संरक्षण सुनिश्चित करते हुए विभिन्न दिशा-निर्देश दिए।
बैठक में मुख्यमंत्री योगी ने कहा, राज्य कृषि उत्पादन मंडी परिषद द्वारा किसानों के हित का ध्यान रखते हुए किए जा रहे प्रयास सराहनीय हैं। मंडी शुल्क को न्यूनतम करने के बाद भी राजस्व से संग्रह में मंडियों का अच्छा योगदान है। वित्तीय वर्ष 2021-22 में जहां ₹614 करोड़ की आय हुई तो वहीं, 2022-23 में ₹1520.95 करोड़ की आय हुई थी। वहीं, वर्तमान वित्तीय वर्ष के पहले दो माह ने अब तक ₹251.61 करोड़ का राजस्व संग्रहीत हो चुका है। मंडी शुल्क न्यूनतम होने के बाद भी मंडियों से राजस्व संग्रह में हुई बढ़ोतरी सराहनीय है।
अयोध्या कृषि विवि में टिशू कल्चर प्रयोगशाला की स्थापना
सीएम योगी ने निर्देश देते हुए कहा कि फसलों को विश्व स्तर पर प्रतिस्पर्धी बनाने के लिए गुणवत्ता पूर्ण रोपण सामग्री, बागवानी फसलों के गुणवत्ता पूर्ण रोपण एवं रोग मुक्त बनाने के लिए आचार्य नरेंद्र देव कृषि एवं प्रौद्योगिकी विश्वविद्यालय कुमारगंज (अयोध्या) में टिशू कल्चर प्रयोगशाला की स्थापना की जाए। यह प्रयोगशाला कम से कम तीन हेक्टेयर के विशाल परिसर में स्थापित हो। इसके लिए धनराशि की व्यवस्था मंडी परिषद द्वारा की जाएगी।
मुख्यमंत्री कृषक छात्रवृत्ति योजना में इन्हें भी किया जाएगा शामिल
उन्होंने कहा कि मुख्यमंत्री कृषक छात्रवृत्ति योजना अत्यंत उपयोगी सिद्ध हो रही है। वर्तमान में पांच विश्वविद्यालयों एवं 23 महाविद्यालयों में कृषि एवं गृह विज्ञान के विद्यार्थियों को 3000 रुपये मासिक छात्रवृत्ति दी जा रही है। योजना का लाभ अधिकाधिक युवाओं को मिले, इसके लिए इसमें कृषि एवं प्रौद्योगिक विश्वविद्यालय, बांदा, अलीगढ़ मुस्लिम विश्वविद्यालय, रानी लक्ष्मीबाई केंद्रीय कृषि विश्वविद्यालय, झांसी और बुंदेलखंड विश्वविद्यालय, झांसी और 37 अन्य महाविद्यालयों को भी शामिल किया जाए।
कृषि विश्वविद्यालयों में स्थापित की जाए टेस्टिंग लैब
सूबे के मुखिया ने कहा कि जैविक एवं प्राकृतिक उत्पादों के आउटलेट वर्तमान में मंडल मुख्यालय पर स्थापित हैं। इन्हें जिला मुख्यालय तक विस्तार देने की आवश्यकता है। मंडी समितियों में भी आउटलेट खोले जाएं। जैविक/प्राकृतिक बाजार लगवाएं। हमारे किसानों के जैविक/प्राकृतिक उत्पादों के सत्यापन, ब्रांडिंग के लिए लैब टेस्टिंग आवश्यक है। यद्यपि खाद्य सुरक्षा एवं औषधि प्रशासन, द्वारा लखनऊ, मेरठ, बनारस एवं झांसी में प्रयोगशालाएं संचालित हैं, लेकिन प्रदेश के कृषि विश्वविद्यालयों में कोई लैब संचालित नहीं है। ऐसे में मंडी परिषद द्वारा प्रदेश के सभी चार कृषि विश्वविद्यालयों में टेस्टिंग लैब स्थापित किया जाए।
नए हाट पैठ और किसान मंडियों का कराया जाए निर्माण
किसानों की सुविधा के मद्देनजर राज्य सरकार ने बड़ी संख्या में ग्रामीण हाट पैठ और आधुनिक किसान मंडियों का निर्माण कराया है। क्षेत्रीय जरूरतों के अनुसार, नए हाट पैठ और किसान मंडियों का निर्माण कराया जाना चाहिए। इनका अच्छा मेंटीनेंस रखें। पटरी व्यवसायियों को यहां समायोजित किया जाना चाहिए। उन्होंने कहा कि मंडियों में प्रकाश की समुचित व्यवस्था हो। जलभराव की स्थिति न हो। किसानों की सुविधा का पूरा ध्यान रखें और कृषि फसल की सुरक्षा के अच्छे प्रबंध हों। शौचालय/पेयजल के पर्याप्त इंतज़ाम रखें।
मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने कहा, यह सुखद है कि मंडी परिषद की सहायता से कृषि विश्वविद्यालयों में छात्रावासों का निर्माण कराया जा रहा है। इन छात्रावासों का निर्माण कार्य गुणवत्ता का पूरा ध्यान रखते हुए समयबद्ध ढंग से पूरा कराया जाए। कृषि मंत्री द्वारा इन निर्माणाधीन छात्रावासों का निरीक्षण किया जाए। विभिन्न जनपदों में कृषि उत्पादन मंडी परिषद की भूमि/भवन निष्प्रयोज्य हैं। इस भूमि/भवन के व्यवस्थित इस्तेमाल के लिए ठोस कार्ययोजना बनाई जाए। इस प्रकार परिषद अपनी आय का एक नवीन विकल्प भी सृजित कर सकता है।
मंडी परिषद के ऑफिस ब्लॉक को MSME से जोड़ें
सीएम योगी ने कहा, कृषि और खाद्य प्रसंस्करण को बढ़ावा देने के लिए प्रदेश सरकार द्वारा अनेक नीतिगत प्रयास किए जा रहे हैं। प्राकृतिक खेती को प्रोत्सहित करने के लिए भी योजनाबद्ध रीति से कार्य किया जा रहा है। किसानों को उनकी उपज का उचित मूल्य मिले, उत्पाद की ब्रांडिंग हो, सही बाजार मिले, इसके लिए राजधानी लखनऊ में ‘एग्री मॉल’ स्थापित किया जा रहा है। इस संबंध में कार्यवाही तेजी से आगे बढाएं। एग्री मॉल में किसान सीधे अपने फल, सब्जियों की बिक्री कर सकेंगे। उन्होंने कहा कि मंडी परिषद द्वारा नवी मुंबई में निर्यात प्रोत्साहन के लिए वर्ष 2006 में स्थापित किए गए ऑफिस ब्लॉक को और उपयोगी बनाने के लिए इसे MSME विभाग से जोड़ा जाना चाहिए।