IPS शालिनी सिंह के हवाले कंझावला कांड की जांच ..
शालिनी सिंह महिला आईपीएस अधिकारी रही है जिन्हें केंद्र सरकार ने अगस्त 2019 में दिल्ली के पश्चिमी रेंज का संयुक्त आयुक्त नियुक्त किया।
इत्तेफाक कहे या फिर सब कुछ पहले से तय की बीते साल जनवरी महीने में जो महिला आईपीएस शालिनी सिंह देश में चर्चा में थी। अब वही आईपीएस शालिनी सिंह इस साल भी महीने जनवरी में फिर से तेज दुनिया की नजरों में आकर सुर्खियों में है। बता दें कि बीते वर्ष 2022 जनवरी महीने में शालिनी सिंह आईपीएस पति अनिल शुक्ला के साथ विशिष्ट सेवा पदक राष्ट्रपति के हाथों पाने के चलते सुर्खियों में थी। इस साल 19 आईपीएस शालिनी सिंह को अब दिल्ली के बदनाम सुल्तानपुरी कंझावाला कांड की जांच सौंपी गई तू एक बार फिर चर्चा में आ गई है। आखिर वह कौन सी वजह रही होंगी जिन के चलते दिल्ली पुलिस ने मौजूदा तमाम बाकी वरिष्ठ और काबिल महिला आईपीएस अधिकारियों को नजरअंदाज करते हुए सिर्फ शालिनी सिंह को ही कन्या वाला कांड में पुलिस की हो रही छीछालेदर के बीच उस घटना की जांच सौंपी गई।
आपको बता दें कि वर्ष 1996 में आईपीएस सिंह तमिलनाडु पुलिस से अंगूठे का डर मैं दिल्ली आ गई थी कलर बदलने की सुविधा उन्हें इसलिए दी गई क्योंकि उन्होंने अंगूठी काडर के आईपीएस अधिकारी अनिल शुक्ला के अंतर जातीय विवाह किया था। अनिल शुक्ला का मूल आईपीएस कैडर अंगूठी ही है सामने सिंह पश्चिमी उत्तर प्रदेश के जाट परिवार और अनिल शुक्ला पंजाब के ब्राह्मण परिवार से हैं। सनी सिंह ने काफी वक्त हिंदुस्तानी खुफिया विभाग में सेवा दी जब सारणी सिंह जैसी दबंग और निर्माण महिला आईपीएस का हो तो इस बात का उल्लेख भी जरूरी है कि दिल्ली में 1 जुलाई 1978 को पुलिस कमिश्नर सिस्टम लागू हुआ था।
आपको बता दें कि शालिनी सिंह महिला आईपीएस अधिकारी रही है जिन्हें केंद्र सरकार ने अगस्त 2019 में दिल्ली के पश्चिमी रेंज का संयुक्त आयुक्त नियुक्त किया। उस वक्त सामने सिंह अंडमान निकोबार में आईजी के पद से ट्रांसफर होकर दिल्ली पहुंची थी कुछ ही महीनों बाद 2020 में कोरोनावायरस के बीच उन्होंने हवलदार सिपाहियों के साथ दिन-रात दिल्ली की सड़कों गलियों में उतरकर काम किया उस काम की गूंज हिंदुस्तानी हुकूमत तक जा पहुंची।
बता दें कि साल 2021 में स्पेशल सीपी बनी शालिनी सिंह निकलो ना काल में थानों के भीतर जरूरतमंदों के लिए लंगर का इंतजाम करवाया। बाद में पूरी दिल्ली पुलिस में मिसाल बन गई क्रोना काल में शराब तस्करी रोकने के लिए तस्करों और शालिनी सिंह के बीच लुका छुपी का खेल चलता रहा। इतना ही नहीं सालनी सिंह एंबुलेंस के भीतर रखे इलेक्ट्रिक ताबूत में भरी शराब तक माफियाओं के कब्जे से बाहर निकल वाला एक रोना की जानलेवा लहर के दौरान दिल्ली पुलिस कंट्रोल रूम की जिप्सी उसे घर घर में मौजूद गर्भवती महिलाओं को अस्पताल में दाखिल करवाने की मुहिम सामने सिंह ने ही चलाई थी।