कोरोना से लड़ने को नोबेल पुरस्कार विजेताओं ने मोदी सरकार को दिए 9 सुझाव
देश में 21 दिन का लॉकडाउन जारी है. रेलवे ने सेवाएं बंद कर दी हैं, तो घरेलू उड़ानों पर भी रोक लगी हुई है. राज्यों ने बस सेवा भी बंद की हुई है. फिर भी ऐसे कुछ लोग हैं, जो अपने घर का सफर तय करने के लिए पैदल ही निकल पड़े हैं. सवाल उठ रहे हैं कि 21 दिन बाद सरकार क्या कदम उठाएगी. ऐसे में नोबेल पुरस्कार से सम्मानित अभिजीत बनर्जी और एस्थर डुफलो ने सरकार को 9 सुझाव दिए हैं.
इंडियन एक्सप्रेस में अभिजीत बनर्जी और एस्थर डुफलो ने एक ओपिनियन में लिखा है कि हमें इस लॉकडाउन का मतलब समझ नहीं आता है. बनर्जी और डुफलो ने लिखा, “उन प्रवासी मजदूरों का क्या जिनकी कंस्ट्रक्शन साइट अब बंद हो गई है? मुंबई के धारावी में एक कमरे के घर में कई लोग रहते हैं. जब तापमान बढ़ेगा तो हम ये उम्मीद कर रहे हैं कि 10 लोग एक साथ रह पाएंगे?”
नोबेल विजेताओं ने बताया कि उन्होंने कर्नाटक में एक सर्वे किया जिससे पता चला है कि लोगों को कोरोना वायरस के बारे में जानकारी है, लेकिन ये नहीं पता कि क्या नहीं करना है.
बनर्जी और डुफलो ने कहा कि अगर मान भी लिया जाए कि 21 दिन बाद वायरस के फैलना कम हो जाएगा तब भी इसकी संभावना ज्यादा है कि कई लोग इसके वाहक बने रहेंगे. दोनों ने कहा, “हमें वायरस के तेजी से फैलने के लिए तैयार रहना चाहिए और ऐसा ज्यादातर शहरों के स्लम और दूरवर्ती ग्रामीण क्षेत्रों में होगा.”
इसकी तैयारी के लिए अभिजीत बनर्जी और एस्थर डुफलो ने 9 सुझाव दिए हैं.
- ये सुनिश्चित किया जाए कि हर घर में कम से कम एक व्यक्ति को कोरोना वायरस के लक्षणों के बारे में जानकारी हो.
- लोगों को बताया जाए कि उनके सभी प्रयासों के बाद भी कुछ लोग संक्रमित होंगे ही. हमें कुछ नहीं छुपाना चाहिए
- ग्रामीण इलाकों में अयोग्य समेत सभी हेल्थ वर्कर्स को ट्रेनिंग देने पर विचार किया जा सकता है. ये लोग लक्षण पहचानने और फिर अधिकारियों को सूचित करने का काम कर सकते हैं.
- ये सभी रिपोर्ट जल्दी ही इकट्ठी की जाएं, जिससे पता लग सके कि कहां मामले ज्यादा आ रहे हैं.
- हर राज्य में हेल्थ वर्कर, डॉक्टर, नर्स की एक बड़ी मोबाइल टीम बनाई जाए. इनके पास टेस्टिंग किट होंगी और वेंटीलेटर भी. जहां मामले ज्यादा रिपोर्ट हो रहे हों, वहां इस टीम को भेजा जा सकता है.
- इस टीम को बनाने के लिए, सभी हेल्थ प्रोफेशनल एक कॉल पर तैयार रहें और इस टीम को सभी अस्पताल का इस्तेमाल करने का अधिकार हो.
- मामलों को रिपोर्ट करने के कई तरीके होने चाहिए, जो सामान्य अनपढ़ जनता को सुलभ हो
- सोशल ट्रांसफर स्कीम में साहसिक होना पड़ेगा. इसके बिना डिमांड क्राइसिस अर्थव्यवस्था के लिए घातक साबित हो सकती है.
- वैक्सीन आने तक ‘युद्ध स्तर’ पर काम करना होगा. इसके बाद ज्यादा से ज्यादा लोगों को वैक्सीन दी जाए. हेल्थकेयर सिस्टम सुधारा जाए और अगली बार के लिए बेहतर रूप से तैयार रहें.