नेपाल की संसद में लाया गया नए नक्शे का बिल हुआ पास, भारत ने दिया करारा जबाब
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8 मई के उद्घाटन के बाद से भारत और नेपाल के रिश्तों में तना तनी देखी गई थी.
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18 मई को नेपाल में नया नक्शा जारी किया था.
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275 सदस्यों वाली संसद में विधेयक पारित कराने के लिए दो तिहाई वोट की जरूरत थी.
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सपोर्ट में 258 वोट डाले गए. एक भी विरोध में नहीं था.
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यह बात अभी की नहीं 1816 के सुगौली समझौते पर दस्तखत से जुड़ा है ये मामला.
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दोनों देशों के पास अपने अपने नक्शे हैं. नक्शे को लेकर तस्वीरे साफ नहीं हैं.
नेपाल की संसद में आज देश के सबसे विवादित राजनीतिक नक्शे को किया पेश संविधान संशोधन बिल शनिवार को पारित हो गया है. 275 सदस्यों वाली प्रतिनिधि सभा (निचला सदन) में विधेयक पारित करने के लिए दो तिहाई वोटों की जरूरत थी. विपक्षी पार्टियों ने ( नेपाल कांग्रेस, राष्ट्रीय जनता पार्टी, राष्ट्रीय प्रजातंत्र पार्टी ) इसके पक्ष में वोट दिया. कुल 258 वोट पक्ष में डाले गए. एक भी विरोध में नहीं डला.
निचले सदन के बाद अब इस बिल को नेशनल असेंबली में भेजा जाएगा, जहां एक बार फिर प्रक्रिया दोहराई जएगी. नेशनल असेंबली में संशोधित प्रस्ताव लाने के लिए 72 घंटे का समय दिया जाता है. इस विधेयक के पारित होने के बाद राष्ट्रपति की मंजूरी लेनी होगी. इसके बाद ही इसे संविधान में शामिल किया जाएगा.
क्यों हुआ ये तनाव
भारत और नेपाल के रिश्ते के बीच तनाव तब दिखा, जब 8 मई को रक्षामंत्री राजनाथ सिंह ने वीडियो कॉन्फ्रेंसिंग के जरिए उत्तराखंड में लिपुलेख दर्रे को धारचूला से जोड़ने वाली रणनीतिक रूप से 80 किलोमीटर लंबी सड़क का उद्घाटन किया. इसपर नेपाल ने दावा किया, कि यह सड़क नेपाल क्षत्रों से गुजरती है. इसपर भारत ने जबाब दिया कि यह भूभाग में स्थित है.
विधेयक पास होने पर भारत की प्रतिक्रिया
भारत के विदेशी मंत्रालय के प्रवक्ता अनुराग श्रीवास्तव ने कहा कि “हमने गौर किया है, कि नेपाल के निचले सदन में इस विधेयक को पारित किया गया. ताकि भारत के कुछ क्षत्रों को वो अपने में दिखा सकें हालांकि हमें इसपर पहले ही स्पष्टीकरण दे चुके हैं. यह ऐतिहासिक तथ्यों और सबूतों पर आधारित नहीं है. ऐसे में ये दावा जायज नहीं है. यह हमारे समझौते का उल्लंघन भी है.
भारत के सेना प्रमुख ने साधा निशाना
भारत के सेना प्रमुख जनरल एमएम नरवणे ने बिना चीन का नाम लिए कहा, कि सब किसी और के कहने पर हो रहा है.