ईज ऑफ डूईंग बिजनेस रैंकिंग होती क्या है, कैसे की जाती है इसकी गणना ?
केंद्रीय वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण वाणिज्य और उद्योग मंत्री पीयूष गोयल ने शनिवार को राज्य व्यापार रिफॉर्म एक्शन प्लान 2019 रैंकिंग यानी कि ईज ऑफ डूइंग में राज्यों की रैंकिंग जारी की है।
क्या है ईज ऑफ डूईंग बिजनेस का मतलब ?
ईज ऑफ डूईंग बिजनेस का मतलब है कि देश में कारोबार करने में कारोबारियों को कितनी आसानी होती है। यानी किसी देश में कारोबार शुरू करने और उसे चलाने के लिए माहौल कितना अनुकूल है। इसकी रैंकिग राज्यों को 10 मापदंडों के आधार पर दी जाती है। आइए जानते हैं कौन से हैं वो 10 मापदंड।
1- बिजनेस की शुरुआत (Starting a Business)
एक पैरामीटर तैयार किया जाता है इसमें यह देखा जाता है कि देश में बिजनेस शुरू करने में कितना समय लग रहा है। कितने विभागों की अनुमति लेनी पड़ेगी। जिस देश में ये सब चीजें कम लगती हैं वहां की रैंकिंग अच्छी दी जाती है।
2- बिजली कनेक्शन (Getting Electricity)
किसी भी बिजनेस को शुरू करने पर अच्छी बिजली की कनेक्शन का होना आवश्यक है। इस पैरामीटर के लिए इलेक्ट्रिसिटी कनेक्शन में लगने वाला समय पैसा और डॉक्युमेंट्स से जुड़े आंकड़े जुटाए जाते हैं।
3- निर्माण कार्य के लिए परमिट (Dealing with Construction permit )
इस पैरामीटर में देखा जाता है कि गोदाम बनने में कितना समय लग रहा है और कितनी लागत आ रही है। इसके अलावा इसमें बिल्डिंग गुणवत्ता नियंत्रण सूचकांक, बिल्डिंग के लिए बीमा और उसके सर्टिफिकेट के लिए कितना समय लग रहा है।
4 – संपत्ति पंजीकरण (Registering Property)
घराने के द्वारा किसी प्रॉपर्टी को बेचने, खरीदने किसी व्यक्ति को लीज पर देने या प्रॉपर्टी पर ऋण लेने और कागजी कार्यवाही होने में कितना समय लग रहा है। इसके साथ ही भूमि प्रसाशन प्रणाली (Land administration system ) की गुणवत्ता को भी मापा जाता है।
5- ऋण प्राप्त करना ( Getting Credit )
इसमें इस पैरामीटर को देखा जाता है कि उद्यमी को व्यापार बढ़ाने में आसान या कठिन शर्तों पर ऋण मिलता है। कितनी मात्रा में मिलता है और कितनी कोलैटरल सिक्योरिटी जमा करनी पड़ती है।
6- छोटे निवेशकों की रक्षा (Protesting Minority Investors)
देश में निवेश करने वाले कारोबारियों के पैसों की गारंटी कितनी है। साथ ही अगर निवेशक के साथ कुछ गैर कानूनी घटित होता है तो किस प्रकार सरकार की तरफ से उसे क्या- क्या सहायता मिल सकती है।
7 – करों का भुगतान (Paying Taxes)
इसमें अध्ययन किया जाता है कि टैक्स कैसे और कितनी दर से लिए जाते हैं और कारोबारियों को इसे भरने में कितना समय लगता है।
8 – सीमा पार व्यापार (Treading Across Borders)
आयात और निर्यात को लेजिस्टिक प्रकिया से जोड़ते समय डॉक्यूमेंट और लागत का अध्ययन किया जाता है। इसमें खासतौर पर तीन चीजें आती हैं।
1- डॉक्यूमेंट
2- बॉर्डर नियम
3- घरेलू परिवहन में लगी लागत और समय
9 – कॉन्ट्रैक्ट के नियम (Enforcing Contracts)
दो कंपनियों और कॉन्ट्रेक्ट को लेकर नियम। इन अनुबंधों में होने वाली प्रक्रिया और खर्च होने वाले रकम को भी ईज ऑफ डूइंग बिजनेस में आधार बनाया जाता है। इसके अंतर्गत यह भी देखा जाता है कि देश में कानूनी प्रक्रिया कितनी जटिल और खर्चीली है।
10. दिवालिएपन का समाधान करना (Resolving Insolvency)
डूइंग बिजनेस रिपोर्ट इस बात का अध्ययन करती है कि यदि कोई कंपनी दिवालियापन के लिए अप्लाई करती है तो इस प्रक्रिया में कितना समय, लागत और परिणाम में समय लगेगा।