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क्या है गोल्ड मोनेटाइजेशन स्कीम

गोल्ड मोनेटाइजेशन स्कीम : भारत देश में कई ऐसी महिलाएं और पुरुष भी है जो कि सोने को बहुत ज्यादा पसंद करते हैं। शायद यही वजह है कि भारत देश में दुनिया का 11% सोना है। इसका मतलब यह है कि भारत की महिलाएं ही अकेले पूरी दुनिया का 11% सोना रखती है। यह तकरीबन 21000 टन सोना होगा। लेकिन इस सोनी को मात्र शरीर पर धारण करने से ज्यादा लाभकारी चीजें भी हो सकती हैं।

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घर पर पड़ा हुआ सोना किसी काम नहीं आता सिवाय पहनने के लेकिन भारत की सरकार एक और ऐसी नई स्कीम लेकर आई है जो कि आपको घर पर रखे हुए सोने का भी दाम दिला सकती है।इस सोने का आपको दाम मिल सकता है वह भी बिना ज़ेवर बेचे। इसी वजह से सरकार यह स्कीम लेकर आई है जिसका नाम गोल्ड मोनेटाइजेशन स्कीम है। इस योजना के अंतर्गत आपको आपके घर पर रखे सोने का पैसा मिलने वाला है। आज हम आपको इस योजना के बारे में बताने जा रहे हैं जिसमें हम आपको यह भी बताएंगे कि किस प्रकार आप इस योजना का पूर्ण लाभ उठा सकते हैं।

क्या है गोल्ड मोनेटाइजेशन योजना?

इस बात से भारत देश में हर कोई अवगत है कि भारत की महिलाओं को स्वर्ण से कितना ज्यादा प्रेम है। यही नहीं भारत देश में तो पुरुष भी जेवर प्रेमी होते हैं। भारतीयों के इसी शौख की वजह से आज भारत में परिवारों के पास इतना ज्यादा सोना होता है। लेकिन यह सोना घर पर पड़े पड़े मात्र खराब ही हो जाए इस से अच्छा है कि सोने को बाहर निकाल कर आप इसके फायदे उठा सकें।

जेवरों का फायदा उठाने के लिए वह भी बिना इनको बेचे, सरकार की गोल्ड मोनेटाइजेशन स्कीम बहुत काम आती है। गोल्ड मोनेटाइजेशन स्कीम के तहत आप घर में रखे सोने पर कुछ इनकम यानी की कमाई कर सकते हैं । गोल्ड मोनेटाइजेशन का अर्थ सोने का मुद्रीकरण होता है। भारत की सरकार द्वारा गोल्ड मोनेटाइजेशन स्कीम की शुरुआत भारत में मई 2015 में की गई थी। वैसे तो यह योजना भारत में सन 1999 से ही थी लेकिन इस योजना का कोई भी फायदा नहीं था। फिलहाल इस योजना का नया रूप जो कि 2015 में आया सभी की नजरों में था।

इस योजना के जरिए लाभार्थी सरकार से बाद में पैसे या फिर सोना दोनों में से कुछ भी ले सकता है । इसके लिए मात्र आपको बैंक में जाकर अपने ज़ेवरों को जमा करना होगा जिसके बाद आपको उस पर ब्याज दर मिलेगी। इस स्कीम को मुख्य सफलता 2015 के बाद ही मिली है।

1999 के बाद क्यों नही चल सकी स्कीम?

जैसा कि हमने बताया कि यह योजना वैसे तो 1999 से ही चल रही थी लेकिन इसका कोई फायदा नहीं उठाया जा सकता था। ऐसा इसलिए क्योंकि 1999 में यह योजना सभी की पहुंच में नहीं थी अर्थात ऐसा प्रतीत होता था कि यह योजना किसी खास वर्ग के लिए बनाई गई हो।

इसी के साथ इस योजना के कुछ पात्र भी हुआ करते थे जैसे कि इस योजना का केवल वही लोग फायदा उठा सकते थे जिसके पास 500 ग्राम यानी कि पूरे आधा किलो सोना होता हो। जैसा कि हर कोई जानता है देश में आधा किलो सोना ज्यादातर लोगों के पास नहीं होता है। इसी के साथ इस स्कीम की जानकारी ज्यादातर लोगों को नहीं थी जिसकी वजह से कोई इसका फायदा उठाने में सक्षम नहीं था। वहीं जिन लोगों को इस योजना के बारे में जानकारी थी कि उन्होंने भी इस योजना का लाभ उठाना उचित नहीं समझा। ऐसा इसलिए क्योंकि इस योजना के अंतर्गत 1999 में सभी बैंक मात्र 1% का ब्याज दिया करती थी। यही वजह रही कि 1999 के बाद सरकार के पास 20000 टन में से मात्र 20 टन सोना ही एकत्रित हो पाया।

क्या है पुरानी और नई स्कीम में अंतर?

स्वर्ण मुद्रीकरण योजना यानी कि गोल्ड मोनेटाइजेशन स्कीम इससे पहले 1999 में भी शुरू की गई थी परंतु उसका सही से लाभ नहीं उठाया जा सका था। 2015 में यह स्कीम एक बार फिर से प्रचलन में आई। दोनों समय इस योजना में बहुत बड़ा अंतर है । जहां पहले इस योजना के अंतर्गत लाभार्थियों को कम से कम 500 ग्राम सोना बैंक में जमा करना होता था वहीं अब इसके लिमिट घटाकर मात्र 10 ग्राम कर दी गई है। इसका मतलब यह है कि अब यह स्कीम हर इंसान की पहुंच में आ पाएगी।
नई स्कीम के अंतर्गत आप अपना सोना 3 समय अवधियों में जमा कर पाएंगे।स्कीम के माध्यम से आप सोने को छोटी अवधि जोकि 1 से तीन साल के लिए है, मध्यम अवधि यानी की 5 से 7 साल और लंबी अवधि अर्थात 12 से 15 साल के तहत डिपॉजिट कर सकते हैं।

इसमें एक बात का ध्यान रखना होगा कि यदि आपको सोना बीच में निकालने की इच्छा है तो फिर आपको छोटी अवधि में ही इन्वेस्ट करना चाहिए। इसका मतलब यह है कि यदि आप सोने को छोटी अवधि के लिए इन्वेस्ट कर रहे हैं तभी आप सोने को बीच में निकाल सकते हैं‌। मध्यम और लंबी अवधि में आप सोना नहीं निकाल सकते ।

नई स्कीम की विशेषताएं

प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी द्वारा शुरू की गई नई स्कीम कि कुछ विशेषताएं इस प्रकार हैं –

  1. 10 ग्राम है न्यूनतम लिमिट
    सबसे पहले सोने को जमा करने के लिए बैंकों में न्यूनतम लिमिट 500 ग्राम रखी गई थी जिसके बाद फिर इसको कम करके 30 ग्राम कर दी गई। अब यानी कि वर्तमान में इसको और घटाकर मात्र 10 ग्राम तक कर दिया गया है इसका फायदा हर कोई उठा सके।
  2. समय अवधि के हिसाब से मिलेगा ब्याज
    इस स्कीम में आपको समय अवधि के हिसाब से ब्याज मिलने वाला है। इसका मतलब यह है कि आप जितने समय के लिए सोने को मोनेटाइजेशन के लिए जमा करेंगे आपको ब्याज उतना ही बढ़कर मिलेगा।

–1 साल से अधिक समय तक रखने पर आपको 0.50% प्रति वर्ष के आधार पर ब्याज मिलेगा ।
–एक से दो वर्ष के बीच की अवधि तक  0.55%  पर ब्याज प्राप्ति होगी ।
–दो से तीन वर्ष की अवधि तक सोना रखने पर 0.60% प्रति वर्ष के आधार पर ब्याज मिलेगा।
–मध्यम और लंबी अवधि सोने के डिपॉजिट पर 2.25% प्रतिवर्ष के आधार पर ब्याज मिलेगा।

  1. नहीं है जमा करने की कोई ऊपरी सीमा
    इसका मतलब यह है कि आप जितना चाहे उतना सोना अपने बैंक में जमा कर सकते हैं, इसके लिए कोई भी ऊपर सीमा निर्धारित नहीं की गई है ।
  2. आरजीडीएस सर्टिफिकेट ट्रेडेबल और ट्रांसफरेबल
  3. वापस ले सकेंगे रुपए या सोना
    लाभार्थी के पास इस बात की खुली छूट है कि वह बैंक से अपना सोना वापस लेना चाहेगा या फिर उसके बदले रुपए।आप जब बैंक से अपना गोल्ड वापस लेंगे तो आपकी ज्वैलरी मेल्ट करके गोल्ड सिक्के, बिस्किट या बार में मिलेगा।

6.कर सकेंगे गोल्ड ट्रेडिंग

7.आपको गोल्ड रखने के लिए आपको कोई लॉकर का चार्ज नहीं देना पड़ेगा।

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क्या हैं स्कीम के फायदे?

इस स्कीम के कई फायदे भी हैं –

  1. इस योजना का सबसे बड़ा फायदा तो यह है कि आप को लाभार्थी होने के लिए अधिक सोने की आवश्यकता नहीं है ।
  2. इस योजना के तहत आप अपने सोने को तीन समय अवधि में जमा कर सकते हैं। यह अवधि 1 से 3 साल 5 से 7 साल या 12 से 15 साल हो सकती है।
  3. भारत की सरकार इस योजना को सावरेन गोल्ड बॉन्ड के अंतर्गत रखेगी। इसकी मदद से आप बाद में सोना या फिर पैसा दोनों में से कुछ भी ले सकते हैं।
  4. निवेशक को सोने में होने वाले उतार-चढ़ाव से सुरक्षा मिलेगी।
  5. इस योजना की वजह से भारत देश में सोने का आयात कम होगा। इसी वजह से देश का बहुत सारा पैसा बच जाएगा।
  6. आप बैंक में जमा अपने गोल्ड पर लोन लेने में भी सक्षम है।

स्वर्ण मुद्रीकरण योजना यानी कि गोल्ड मोनेटाइजेशन स्कीम के बहुत सारे फायदे हैं जिससे भारत का हर कोई लाभान्वित हो सकता है। इस योजना का मुख्य उद्देश्य भारत में सोने के आयात को कम करना है ताकि भारत का काफी पैसा बच सकें।

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