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वैलनेस गुरु डॉ. संतोष ने मेडिकल छात्रों को दिए टिप्‍स, बोले- मनपसंद क्षेत्र में लगाएं अपना जुनून

खुद को शारीरिक और मानसिक रूप से फिट रखना बेहद जरूरी है। सभी के सामने यही सबसे बड़ी चुनौती है। 

  • हर परिस्थिति में विचारों को रखें सकारात्मक और नियंत्रित
  • विचार और व्यवहार ही करता है इंसान को दूसरे प्राणियों से अलग

बरेली: आज चिकित्सकों के सामने सबसे ज्यादा चुनौतियां हैं। मरीजों के इलाज को प्राथमिकता देने की वजह से चिकित्सक अक्सर अपने स्वास्थ्य के प्रति लापरवाह हो जाते हैं। एमबीबीएस में एडमिशन लेने से डॉक्टर बनने तक तमाम विद्यार्थियों को कई बीमारियां अपनी चपेट में ले लेती हैं। इससे बचाव के लिए आज से ही जागरूक होना जरूरी है। खुद को स्वस्थ रखना आवश्यक है। खुद को शारीरिक और मानसिक रूप से फिट रखना बेहद जरूरी है। सभी के सामने यही सबसे बड़ी चुनौती है।

यह बात एम्स ऋषिकेश के कम्युनिटी एंड फैमिली मेडिसिन विभाग के एसोसिएट प्रोफेसर और वेलनेस गुरु डॉ. संतोष कुमार ने कही। एमबीबीएस के विद्यार्थियों के लिए आयोजित वैलनेस की ओर यात्रा सत्र में उन्होंने वर्कप्लेस पर स्ट्रेस मैनेजमेंट के टिप्स देने के साथ ही जीवन में सफलता हासिल करने और सफल चिकित्सक के रूप में पहचान बनाने के लिए प्रोत्साहित किया।
मनपसंद क्षेत्र में लगाएं अपना जुनून: डॉ. संतोष
एसआरएमएस मेडिकल कालेज के ऑडिटोरियम में डॉ. संतोष ने एमबीबीएस विद्यार्थियों से कहा कि मेडिकल फील्ड में आपकी जर्नी अभी शुरू हुई है। सफलता हासिल करने के लिए इस क्षेत्र में अभी मीलों सफर बाकी है। संभव है कि इस यात्रा में ऐसे युवा भी शामिल हों जो किसी दूसरे क्षेत्र में जाना चाहते थे, लेकिन परिजनों के दवाब में इसमें शामिल हो गए। इस फील्ड में आगे बढ़ने से पहले अभी वक्त है कि आप अपने जुनून को मनपसंद क्षेत्र में लगाने की कोशिश करें। क्योंकि जुनून के बिना सफलता हासिल करना मुश्किल होता है। या फिर जिस फील्ड में आ गए हैं, उससे संतुष्ट हों और इसे स्वीकार कर इसी में जुनून लगा दें। जरूरी नहीं कि एमबीबीएस की डिग्री हासिल कर ही पहचान बनाने की कोशिश की जाए।
इतिहास उठा कर देखें पहचान बनाने के लिए, महान बनने के लिए किसी डिग्री की जरूरत नहीं होती। दृष्टिकोण, नजरिया, विचार और संकल्प ही किसी भी व्यक्ति को महान बनाते हैं। आपको कहां जाना है तय करने के लिए अभी आपके पास वक्त है। अगर अभी भी आप फैसला नहीं कर पाते कि आपको कहां जाना है तो यह गलत है। अपने विचारों को नियंत्रित करें। अपनी सोच पर काम करें। इसे बड़ा करें और सकारात्मक रखें। क्योंकि सोच से ही सारा अंतर पड़ता है। जिंदगी में आगे जाने के लिए अभी से प्लान और ग्राफ बनाएं। फैसला लेने के लिए एनालिसिस करें। अगर गलत विचारों के आधार पर कोई फैसला करते हैं तो वह गलत ही होगा। क्योंकि विचारों के आधार पर ही एक्शन लिया जाता है।
वर्चुअल की जगह वास्‍तविक दुनिया को दें प्रमुखता: डॉ. संतोष
एक्शन आदतें बनाता है और आदतें हमारे चरित्र का निर्माण करती हैं। चरित्र ही हमारी डेस्टिनी तय करता है। डॉ. संतोष ने विद्यार्थियों से वर्चुअल के स्थान पर वास्तविक दुनिया को प्रमुखता देने की सलाह दी। उन्होंने कहा कि परिवार के साथ वास्तविक दुनिया में इनवेस्ट करें। यहीं पर पॉजिटिव दोस्त बनाएं। संबंधों में अहंकार को कभी आड़े न आने दें। जहां जैसा है वहां वैसा ही रिएक्ट करें। लेकिन गलतफहमियों और संवादहीनता से बचें। हर पल को इंज्वाय करें। पढ़ाई, प्रोजेक्ट, मरीज और दूसरे जरूरी कामों के लिए खुशी के पलों को बाद के लिए न छोड़ें। खुशी जिंदगी का मूल तत्व है। इसके लिए समय निकालें और खुद को समय दें। अपने स्वास्थ्य का ध्यान रखें।
डॉ. संतोष ने कहा कि मनुष्य होने के नाते हम सब पर एक बड़ी जिम्मेदारी भी है। वह है खुद के साथ समाज और देश के विकास में योगदान देने की। अगर हम किसी की जिंदगी में कोई सकारात्मक बदलाव नहीं लाए। देश और समाज के विकास में योगदान नहीं देते तो दुनिया की नजरों में हमारा कोई महत्व नहीं। हमारी कोई वैल्यू नहीं। अपनी वैल्यू बढ़ाएं। अगर डॉक्टर बनना है तो इस पेशे से प्यार करें। मरीजों से प्यार करें। इसे अपना पैशन बनाएं। आप सफल होंगे। कार्यक्रम के आर्गनाइजिंग सेक्रेटरी डॉ. क्रांति कुमार भी मौजूद थे।

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