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Vastu Special: जानिए किस दिशा में होना चाहिए आपके घर का मेन गेट

पूर्व और उत्तर दिशा मानी गई हैं सबसे अधिक शुभ, कौन सी दिशा में क्या करें जानें वास्तुविद राजेन्द्र तिवारी से

वास्तुशास्त्र के ऐसा शास्त्र है जिसके छोटे-छोटे प्रयोग हमारे घर और जीवन को सरल और सहज बना देते हैं। अगर आप घर बनाते वक्त छोटी-छोटी चीजों का ध्यान रख लें तो तमाम मुश्किल चीजें आसान हो जाती हैं। आज हम आपके घर से संबंधित ऐसी ही कुछ चीजें बताने जा रहे हैं।

भागवत कथा प्रवक्ता, ज्योतिषी और वास्तुशास्त्री आचार्य राजेन्द्र तिवारी वास्तु के अनुसार एक आदर्श मकान का मेन गेट सिर्फ पूर्व या उत्तर दिशा में ही होना चाहिए। वहीं आपके घर का ढलान पूर्व, उत्तर या पूर्व-उत्तर (इशान कोण) की और होना शुभ माना गया है। इस तरह वास्तु के अनुसार घर के कमरे, हॉल, किचन, बाथरुम और बेडरुम एक खास दिशा में होने चाहिए। जिससे घर में वास्तुदोष नहीं होता और लोग सुखी रहते हैं।

पूर्व दिशा –  पूर्व दिशा सूर्योदय की दिशा है। इस दिशा से सकारात्मक व ऊर्जावान किरणें हमारे घर में प्रवेश करती हैं। यदि घर का मेनगेट इस दिशा में है तो बहुत अच्छा है। खिड़की भी रख सकते हैं।

पश्चिम दिशा – आपका रसोईघर या टॉयलेट इस दिशा में होना चाहिए। रसोईघर और टॉयलेट पास- पास न हो, इसका भी ध्यान रखें। वस्तुत: मकान बनाते वक्त इसी बात का सबसे अधिक ध्यान रखने की जरूरत होती है।

Vastu Shastra, in which direction the gate of the house should be built, what should be the Vastu of the house, keep these things in mind while building the house, Acharya Rajendra Tiwari

उत्तर दिशा – इस दिशा में घर के सबसे ज्यादा खिड़की और दरवाजे होने चाहिए। घर की बालकॉनी व वॉश बेसिन भी इसी दिशा में होना चाहिए। यदि मेनगेट इस दिशा में है और अति उत्तम।

दक्षिण दिशा – दक्षिण दिशा में किसी भी प्रकार का खुलापन, शौचालय आदि नहीं होना चाहिए। घर में इस स्थान पर भारी सामान रखें। यदि इस दिशा में द्वार या खिड़की है तो घर में नकारात्मक ऊर्जा रहेगी और ऑक्सीजन का लेवल भी कम हो जाएग। इससे घर में क्लेश बढ़ता है।

उत्तर-पूर्व दिशा – इसे ईशान दिशा भी कहते हैं। यह दिशा जल का स्थान है। इस दिशा में बोरिंग, स्वीमिंग पूल, पूजास्थल आदि होना चाहिए। इस दिशा में मेनगेट का होना बहुत ही अच्छा रहता है।

उत्तर-पश्चिम दिशा – इसे वायव्य दिशा भी कहते हैं। इस दिशा में आपका बेडरूम, गैरेज, गौशाला आदि होना चाहिए।

दक्षिण-पूर्व दिशा – इसे घर का आग्नेय कोण कहते हैं। यह ‍अग्नि तत्व की दिशा है। इस दिशा में गैस, बॉयलर, ट्रांसफॉर्मर आदि होना चाहिए।

Vastu Shastra, in which direction the gate of the house should be built, what should be the Vastu of the house, keep these things in mind while building the house, Acharya Rajendra Tiwari

दक्षिण-पश्चिम दिशा – इस दिशा को नैऋत्य दिशा कहते हैं। इस दिशा में खुलापन अर्थात खिड़की, दरवाजे बिलकुल ही नहीं होना चाहिए। घर के मुखिया का कमरा यहां बना सकते हैं। कैश काउंटर, मशीनें आदि आप इस दिशा में रख सकते हैं।

घर का आंगन – घर में आंगन नहीं है तो घर अधूरा है। घर के आगे और पीछे छोटा ही सही, पर आंगन होना चाहिए। आंगन में तुलसी, अनार, जामफल, मीठा या कड़वा नीम, आंवला, हरसिंगार जैसे पौधे लगाएं। इस पौधों से घर में सकारात्मक ऊर्जा का संचार होता है। पौधे लगाने के बाद उनको नियमित रूप से पानी जरूर दें। ध्यान रखें पौधे सूखने न पाएं। अधिकांश लोग पौधे लगाने के बाद उनकी देखभाल नहीं करते, यह सही बात नहीं है। इसका नकारात्मक प्रभाव पड़ने लगता है।

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