Madhya Pradesh

OBC आरक्षण पर संघी ने कोर्ट में कैविएट दायर की, 2019 से मामला कोर्ट में चल रहा लंबित

OBC आरक्षण को लेकर मध्यप्रदेश सरकार ने किया था हाई लेवल मीटिंग। मीटिंग में फैसला लिया था की हाईकोर्ट से न्याय न मिलने पर जाएंगे सुप्रीम कोर्ट।

जबलपुर। हाई कोर्ट से Other Backward Classes के आरक्षण को लेकर हाई कोर्ट से निराश प्रदेश सरकार अब सुप्रीम कोर्ट जाने की तैयारी में है। वहीँ, प्रदेश सरकार के इस फैसले के चलते अधिवक्ता आदित्य संघी ने कोर्ट में कैविएट दायर की है। बता दें, संघी OBC आरक्षण को चुनौती देने वाली याचिकाकर्ता छात्रा आशिता दुबे के वकील भी हैं।

गौरतलब है की बीते कुछ दिनों पहले Other Backward Classes के आरक्षण को लेकर मध्यप्रदेश सरकार ने हाई लेवल मीटिंग का आयोजन किया था। मध्यप्रदेश सरकार ने इस मीटिंग में फैसला लिया था की हाईकोर्ट से न्याय न मिलने पर वो सुप्रीम कोर्ट जाएंगे। वर्ष 2019 से यह पूरा मामला मध्यप्रदेश हाई कोर्ट में लंबित चल रहा है। अपनी सुनवाई में प्रदेश हाई कोर्ट ने प्रदेश में बढ़े 27 प्रतिशत OBC आरक्षण पर अपनी रोक के फैसले को बरकरार रखा था और सिर्फ 14 फीसदी ही Other Backward Classes आरक्षण को प्रदेश में लागू करने की बात कही थी।

हाई कोर्ट में दर्ज इस मामले पर प्रदेश की पूर्व सरकार ने अपना जवाब स्पष्ट कर दिया है। पूर्व सरकार ने अपने जवाब में कहा कि वह मध्य प्रदेश में OBC वर्ग को आबादी के लिहाज से आरक्षण देना चाहती है। प्रदेश में OBC वर्ग की आबादी 50 फीसदी से ज्यादा होने के कारण उन्हें बढ़ा हुआ 27 फीसदी आरक्षण भी दिया जाना चाहिए।

मगर सरकार के इस फैसले पर याचिकाकर्ता के वकील की अलग ही दलील है। याचिकाकर्ता के वकील का कहना है कि इंदिरा साहनी का न्याय दृष्टांत हो या मराठा रिजर्वेशन पर दिया गया फैसला। इन दोनों ही फैसलों के तहत एमपी में SC/ST/OBC वर्ग को 50 फीसदी से ज्यादा आरक्षण नहीं दिया जा सकता।

हाई कोर्ट ने लगाई थी रोक:

हाईकोर्ट ने हाल ही में इस मामले पर सुनवाई के दौरान कोर्ट ने प्रदेश में ओबीसी वर्ग को बढ़ा हुआ यानि 27 फीसदी आरक्षण देने पर रोक लगा दिया था। वहीँ इस पूरे ममले पर जबलपुर हाईकोर्ट ने यह बात साफ किया है कि फिलहाल OBC वर्ग को पहले की तरह 14 फीसदी आरक्षण ही दिया जा सकेगा। इस मामले पर केस की अगली सुनवाई अब 10 अगस्त को होगी।

कोर्ट में इस सुनवाई के दौरान राज्य सरकार के तरफ से दलील रखा गया कि प्रदेश में कोराना की तीसरी लहर को देखते हुए डॉक्टर्स की नियुक्ति जरूरी है। इस पर हाईकोर्ट ने राज्य सरकार को आदेश दिया है कि वो मैरिट लिस्ट तो 27 फीसदी Other Backward Classes आरक्षण के हिसाब से बना सकती है लेकिन डॉक्टर्स की नियुक्ति में मात्र 14 फीसदी ओबीसी आरक्षण ही दिया जा सकेगा।

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